ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायत दर्ज करें

उपभोक्ता ऑनलाइन शिकायत कहां दर्ज करवाएं अगर आप भी उपभोक्ता हैं और ऑनलाइन शिकायत करना चाहते हैं, तो यहां शिकायत कर सकते हैं : राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं 1800-11-4000 या 14404 या 1915 शिकायत का समय का ध्यान रखें : राष्ट्रीय अवकाश को छोड़कर सभी दिन (08:00 प्रात से 08:00 मध्याह्न तक ) या इस नंबर पर एसएमएस करे – 8130009809. उपभोक्ता हेल्पलाइन के अधिकारी आपसे वापस संपर्क करेंगे।

उपभोक्ताओं को ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए

ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदने पर सावधानी: उपभोक्ता को ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदने पर निम्‍नलिखित सावधानी रखनी चाहिए : धयान रखें कि ऑनलाइन सामान विश्वसनीय वेसाइट या इ-कॉमर्स पोर्टल से ही खरीदें। वेबसाइट , निर्माता या भेजे वाले यानि सेलर के रिव्यू देख लें और उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें यदि आप वेबसाइट पर पहली बार शॉपिंग कर रहें है तो हमेशा कैश ऑन डिलीवरी भुगतान विकल्प का चयन करें। गुणवत्‍ता जांच, मूल्‍यांकन आदि के आधार पर अपने उपकरण की उपयोगिता की जांच कर लें उत्पाद के नाप क्षमता और विशेषताओं के बारे में जांच करें आपने जिस उत्‍पाद का प्रयोग करने का निर्णय लिया है उसकी डिलीवरी के बारे में पूरी जानकारी लें ध्यान दें कि दर्शाए गए चित्र वास्‍तविक उत्‍पाद से कुछ भिन्‍न हो सकते हैं ध्यान दें कि उत्‍पाद में सुधार के लिए विशिष्‍टताओं तथा बाहरी डिजाइन को बिना किसी नोटिस के बदला जा सकता है वेबसाईट में उत्‍पादों के विवरण के संबंध में कृपया कंपनी या उसके वितरक या सेलर से संपर्क करें सामान की गारंटी अथवा वारंटी के बारे में पूरी जानकारी लें सामान की आफ्टर सेल्स सर्विस यह सपोर्ट के बारे में पूरी जानकारी लें शिपिंग प्रभारों, डिलीवरी टाइम और रद्द करने और लौटाने संबंधी नीतियों और वारंटी संबंधी नियमों के बारे में जानकारी के संबंध में अपने को आश्वस्त करें। इलेक्ट्रॉनिक सामान की गारंटी और वारंटी के बीच अंतर को समझें – वारंटी, सामान्‍यत: किसी उत्‍पाद की एक लिखित गारंटी होती है और इसमें किसी त्रुटिपूर्ण उत्‍पाद की मरम्‍मत या उत्‍पाद या उसके किसी भाग को बदलने की जिम्‍मेदारी की घोषणा की जाती है। दूसरी ओर, गारंटी किसी कार्य को करने, कार्यान्वित करने या पूरा करने की जिम्‍मेदारी समझने का एक समझौता है और उस समझौते को सुरक्षा उपलब्‍ध कराना है। तथापि, कंपनियां सामान्‍यत: अपने उत्‍पादों के संबंध में केवल वारंटी देती हैं।

बैंक के उपभोक्ता बैंक की शिकायत कहां दर्ज करवाएं

बैंकों कई बार अपने उपभोक्ताओं को तय किए गए मानकों के हिसाब से सुविधा उपलब्ध नहीं कराते हैं। कई बार उनके द्वारा सेवा में कमी अथवा अतिरिक्त या अनावश्यक शुल्क पर लगा दिया जाता है। ऐसे में उपभोक्ता कहां शिकायत दर्ज करवा सकते हैं यह जानकारी हम आपको दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि बैंकिंग प्रणाली मैं बैंक की कौन सी शिकायतें दर्ज करवाई जा सकती है – A – बैंक शाखा सेवा संबंधी: सेवा में विलम्‍ब/मनाही की शिकायत गलत या तय किये गए प्रभार से अधिक सेवा प्रभार (ब्‍याज सहित) बैंक स्‍टॉफ/डीएसए/बैंक मित्र द्वारा दुर्व्‍यवहार की शिकायत B – एटीएमस से संबंधित शिकायत: राशि नहीं निकलना किन्‍तु खाते में पैसे कट जाना एटीएम के माध्‍यम से निकाली गई धनराशि में भिन्‍नता C – अन्य शिकायतें असंतोषजनक शिकायत समाधान गलत या पूरे न किए गए वादे शिकायत की प्रक्रिया : सबसे पहले आप उस शाखा में जहां पर आपका खाता है जाकर अपनी शिकायत लिखित में दर्ज करवाएं यदि शाखा में शिकायत का समाधान नहीं होता है तो उपभोक्‍ता, बैंक के नोडल अधिकारी के पास जा सकता है। आरबीआई के नियम अनुसार नोडल अधिकारी का नाम, पता या अन्य विवरण शाखा में जरूर उपलब्‍ध होना चाहिए। एटीएम सेवाओं के संबंध में शिकायत – उपभोक्‍ता को लेनेदेन के विवरण सहित अपने असफल एटीएम लेनदेन की लिखित सूचना तत्‍काल ही दर्ज करानी चाहिए।

अकाउंट से पैसे निकले, बैंक देगा हर्जाना। 

Team Lawforce
नवम्बर 2022 में देहरादून जिला उपभोक्ता अदालत ने उपभोक्ता के खाते से अनाधिकृत रूप से किसी अपराधी द्वारा निकाली गई रकम बैंक को ब्याज सहित 30 दिन में उपभोक्ता को वापस लौटने का आदेश दिया। डा. एमएस बिष्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ जिला उपभोक्ता अदालत में वाद दायर किया। डा. बिष्ट के अनुसार, उनका बैंक में बचत खाता है। जिसमें मोबाइल नंबर एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकृत है। किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके खाते से 5 लाख से अधिक रुपये निकाल लिए। जिसकी उन्हें कोई सूचना एसएमएस से नहीं मिली। वह बैंक में पासबुक में प्रविष्टि कराने गए, तब इसकी जानकारी मिली। बैंक ने कहा कि एसएमएस अलर्ट बंद होना बैंक की लापरवाही है और यह संदेह उत्पन्न करती है कि यह रकम बैंक के ही किसी कर्मचारी की मिलीभगत से एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर निकाली गई।

मोबाईल फोन में वायरस से बचें

कैसे पता करें फोन में वायरस है – मोबाइल वायरस कई प्रकार के होते हैं, नए-नए प्रकार के वायरस रोज हमारे फोन और कंप्यूटर पर हमला करते रहते हैं। आजकल मोबाइल में वायरस का पता आसानी से नहीं लगाया जा सकता लेकिन फिर भी कुछ तरीके हैं जिन से पता चल सकता है कि आपके फोन में वायरस आ गया है। वायरस आपकी सूचनाओं को हैकर तक भेजने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करेगा, इसका मतलब है कि अगर आपके फोन में वायरस आ गया है तो आपके मोबाइल में डेटा का यूज काफी बढ़ जाएगा। वायरस कई बैकग्राउंड में कई टास्क को रन करेगा और लगातार इंटरनेट से कम्युनिकेट करता रहेगा।

पारसी विधि में तलाक के आधार

पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 के अनुसार तलाक के निम्न आधार हैं : धारा 30 के अनुसार यदि प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण विवाह संपन्न करना असंभव हो जाता है। धारा 31 के अनुसार यदि पति या पत्नी में से किसी ने पिछले सात वर्षों से किसी अन्य पति या पत्नी के बारे में नहीं सुना है, तो विवाह को खत्म किया जा सकता है। धारा 32 में तलाक के आधार दिए गए हैं: जब पति या पत्नी में से कोई एक शादी के एक साल के भीतर शादी से पूरी तरह इनकार कर देता है। जब किसी पति या पत्नी को सात साल से अधिक की कैद हो जाए और एक साल की कैद बीत चुकी हो, तो पति या पत्नी तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं। जब पति या पत्नी में से कोई भी 2 साल से अधिक समय से अलग हो गया हो या उसने अपना धर्म बदल लिया हो। यदि विवाह के समय पति या पत्नी से यह रहस्य रखा जाता है कि दूसरा पक्ष मानसिक रुप से अस्वस्थ है। दूसरा पति या पत्नी शादी की तारीख से तीन साल की अवधि के भीतर तलाक के लिए आवेदन कर सकता है। अगर शादी के समय महिला गर्भवती थी। लेकिन इसे शादी के दो साल की अवधि के भीतर लागू किया जाना चाहिए और साथ ही, जोड़े का वैवाहिक संबंध नहीं होना चाहिए। यदि विवाह के दो साल के भीतर पति या पत्नी में से किसी के साथ क्रूरता का व्यवहार किया जाता है और दोनों मे से कोई भी यौन रोग से पीड़ित है। धारा 32B के अनुसार जबरदस्ती और धोखाधड़ी से आपसी सहमति नहीं ली जा सकती है। पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 की धारा 19 और 20 में कहा गया है कि पारसी केवल पारसी के अधिकारियों की अध्यक्षता वाली विशेष अदालतों में तलाक की कार्यवाही शुरू कर सकता है और एक पंजीकृत (रजिस्टर्ड) कार्यालय में पंजीकरण करना भी आवश्यक है।

ईसाइयों के लिए तलाक के आधार क्या हैं ?

भारतीय तलाक अधिनियम की धारा 10A के अनुसार, ईसाई दो तरह से तलाक ले सकते हैं आपसी तलाक: पति-पत्नी दोनों अगर पिछले दो साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं तो वे जिला अदालत में तलाक के लिए अर्जी दे सकते हैं। विवादित तलाक: इसे निम्नलिखित आधारों पर दायर किया जा सकता है- पिछले 2 साल से मानसिक रूप से अस्वस्थ है व्यभिचार धर्मांतरण पिछले दो साल से त्याग दिया है क्रूरता किसी भी पति या पत्नी के सात साल या उससे अधिक समय तक जीवित रहने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 में तलाक

मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 के अनुसार तलाक के आधार : मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 की धारा 2 के तहत महिला विवाह के विघटन के लिए एक डिक्री प्राप्त करने की हकदार तभी होती है, यदि- सायरा बानो विरुद्ध भारत संघ व अन्य, 2017 इस मामले में अनुच्छेद 13 (1) के साथ पढ़े गए अनुच्छेद 14 के तहत तलाक-उल-बिअद्दत या तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया गया था। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि 1937 का अधिनियम उस सीमा तक शून्य है जहां तक ​​वह तीन तलाक को मान्यता देता है और लागू करता है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सरकार को तीन तलाक को अवैध और अपराधी बनाने के लिए एक कानून बनाना होगा।

हिन्दू धर्म में तलाक कैसे होता है ?

हिन्दू धर्म में तलाक की अवधारणा प्राचीन हिन्दू धर्म में विवाह सात जन्मों का बंधन माना गया था। इसलिए मूल रूप से हिंदू धर्म में तलाक का कोई कंसेप्ट नहीं है। हालांकि इस मान्यता के बावजूद भी कुछ मामलों में पति एवं पत्नी विवाह के बंधनों से मुक्त हो सकते थे। लेकिन फिर भी यह बहुत अधिक प्रचलन में नहीं था, और विवाह को समाप्त करना लगभग असंभव माना जाता था।

क्या चाकू खरीदने पर हो सकती है जेल ? कितना बड़ा चाकू रख सकते हैं ? चाकू रखने पे कौन सी धरा लगेगी

Team Lawforce
नवंबर 2021 में जबलपुर की पुलिस ने पाया कि जबलपुर में हो रहे कई अपराधों में बड़े चाकू इस्तेमाल किया जा रहे हैं। जांच में पता चला कि यह बड़े चाकू ई-कॉमर्स वेबसाइटों से खरीदे जा रहे हैं। यह ई-कॉमर्स वेबसाइट है इन प्रतिबंधित चाकुओं को सीधे घर पर डिलीवरी कर रही है। पुलिस ने जबलपुर में इन ई-कॉमर्स वेबसाइटों से बड़े चाकू खरीदने और होम डिलीवरी करने पर प्रतिबंध लगा दिया।