चिकित्सीय लापरवाही क्या है? किसी चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े किसी प्रोफेशनल व्यक्ति जैसे चिकित्सा नर्स टेक्नीशियन डेंटिस्ट हॉस्पिटल या हॉस्पिटल स्टाफ जो की मरीजों की देखभाल एवं इलाज के लिए सेवाएं प्रदान करते हैं, उनके द्वारा कोई लापरवाही अथवा दुर्व्यवहार किया गया है, अथवा ऐसा कोई कार्य किया गया है जो की चिकित्सा क्षेत्र के स्थापित मानकों से अलग है या विपरीत है, चिकित्सीय लापरवाही कहलाता है। रोगी की उचित देखभाल करने में विफल रहना चिकित्सीय लापरवाही होता है।
यदि किसी व्यक्ति ने अपनी जीवन बीमा की पॉलिसी में नॉमिनी के कॉलम में मां या किसी अन्य व्यक्ति का नाम दे दिया है तो उसका क्लेम मां या उसी व्यक्ति को ही मिलेगा। भले ही क्लेम पत्नी और बच्चों की तरफ से क्यों नहीं किया गया हो।
जुलाई 2023 में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (National Consumer Dispute Redressal Commission) ने अपने एक फैसले में
पत्नी एवं बच्चों को बीमा पॉलिसी क्लेम देने से इनकार कर दिया क्योंकि बीमा पॉलिसी में नॉमिनी की तौर पर मृतक की मां का नाम दर्ज था।
<ol> <li> The right to be protected against the marketing of goods and services which are hazardous to life and property. </li> <li> The right to be informed about the quality, quantity, purity, standard and price of goods or services. </li> <li> The right to be assured, wherever possible, access to a variety of goods and services at competitive prices. </li> <li> The right to seek redressal against unfair trade practices or restrictive trade practices.
उपभोक्ता ऑनलाइन शिकायत कहां दर्ज करवाएं अगर आप भी उपभोक्ता हैं और ऑनलाइन शिकायत करना चाहते हैं, तो यहां शिकायत कर सकते हैं : राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं 1800-11-4000 या 14404 या 1915 शिकायत का समय का ध्यान रखें : राष्ट्रीय अवकाश को छोड़कर सभी दिन (08:00 प्रात से 08:00 मध्याह्न तक )
या
इस नंबर पर एसएमएस करे – 8130009809. उपभोक्ता हेल्पलाइन के अधिकारी आपसे वापस संपर्क करेंगे।
होटल का खाना खराब लगे, तो ग्राहक क्या कर सकता है? अगर आपको लगता है कि आपको परोसे गए खाने में मिलावट है या फिर खाना सही नहीं है, तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं।
होटल का खाना खराब लगने पर ग्राहक कहां और कैसे शिकायत कर सकता है? होटल या रेस्टोरेंट का खाना खराब लगे तो ऐसे शिकायत करें –
जिस खाने का सेंपल आप लेकर आए हैं उसका लैब में टेस्ट करवाएं। खाने में खराबी या मिलावट मिलने पर होटल या रेस्टोरेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
बहुत से लोगों के पास कंपनी की तरफ से फर्जी या गलत बिल आते हैं, लेकिन अधिकतर लोग झंझट से बचने या अधिकारों की जानकारी के अभाव में उस चीज के पैसे दे देते हैं, जिस चीज की सुविधा उन्होंने ली ही नहीं। ऐसी सिचुएशन में लोगों को इन दोनों की तरह जागरुक रहने और अपने अधिकार को पहचानने की जरूरत है।
फर्जी बिल के कुछ और मामले पढ़ें
सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाकर ग्राहकों / उपभोक्ताओं को बेईमान व्यापारियों या विक्रेताओं से बचाने और ग्राहकों के मूल अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गयी है। इसी अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता विवादों को निपटाने के लिए एक तंत्र और विशेष रूप से उपभोक्ता संरक्षण मामलों के लिए उपभोक्ता न्यायालयों/ उपभोक्ता फोरम की स्थापना की गयी है। यह कानून उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रख कर बनाये गए हैं इसीलिए इसमें कोई जटिल कानूनी प्रक्रिया नहीं बनाई गयी है, बल्कि प्रक्रिया को सरल रखने का प्रयास किया गया है।
उपभोक्ता या ग्राहक कौन होता है ? उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार उपभोक्ता का अर्थ है ‘ ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी उत्पाद या सेवा को स्वयं इस्तेमाल करने के लिए खरीदता है, उपभोक्ता कहलाता है।’ लेकिन अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई सेवा या उत्पाद इस परिभाषा में नहीं आते हैं। यानी यदि उत्पाद या सेवा अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई है, तो वह व्यक्ति उपभोक्ता की परिभाषा में इस अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित नहीं होगा।