उपभोक्ता या ग्राहक कौन होता है ? ​​

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार उपभोक्ता का अर्थ है ‘ ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी उत्पाद या सेवा को स्वयं इस्तेमाल करने के लिए खरीदता है, उपभोक्ता कहलाता है।’ लेकिन अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई सेवा या उत्पाद इस परिभाषा में नहीं आते हैं। यानी यदि उत्पाद या सेवा अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई है, तो वह व्यक्ति उपभोक्ता की परिभाषा में इस अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित नहीं होगा।

एक व्यक्ति एक उपभोक्ता है यदि वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है:
  1. व्यक्ति ने कुछ मूल्य के बदले में सामान खरीदा है या कुछ सेवाओं का लाभ उठाया है, यानी उसने पैसे का भुगतान किया है,
  2. व्यक्ति ने व्यक्तिगत उपयोग के लिए सामान खरीदा हो, न कि पुनर्विक्रय या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए.

हालांकि इसका एक अपवाद है। यदि कोई वस्तु किसी व्यक्ति द्वारा जीविकोपार्जन हेतु खरीदी गई है, यानि अपनी आजीविका चलाने के लिए खरीदी गई है, तो वह व्यक्ति भी उपभोक्ता की परिभाषा में शामिल हो जाएगा। और उसे वही समान अधिकार प्राप्त होंगे जो अपने निजी उपयोग के लिए खरीदने वाले व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।

इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं –

अगर एक महिला एक सिलाई मशीन खरीदनी है, जिससे वह कपड़े सिल कर अपनी आजीविका चलाती है, तो वह महिला उपभोक्ता की परिभाषा में शामिल होगी, भले ही उसने सिलाई मशीन अपने छोटे से व्यवसाय के लिए खरीदी है।

आइये अब हम समझते हैं कि उपभोक्ताओं को कौन-कौन से अधिकार प्राप्त होते हैं।

  1. सुरक्षा का अधिकार
  2. जानकारी/ सूचना पाने का अधिकार
  3. चयन का अधिकार
  4. सुनवाई का अधिकार
  5. क्षतिपूर्ति का अधिकार
  6. क्षतिपूर्ति का अधिकार
  7. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
  8. स्वस्थ्य पर्यावरण का अधिकार
  9. मूलभूत आवश्यकता का अधिकार (वस्त्र, भोजन तथा आश्रय)
  10. अनुचित व्यापार प्रथा द्वारा शोषण के विरुद्ध अधिकार

इनमें से कुछ प्रमुख अधिकारों को जानते हैं

सुरक्षा का अधिकार।

उपभोक्ताओं को प्राप्त अधिकारों में सबसे पहला अधिकार है – सुरक्षा का अधिकार। यह सबसे प्रमुख अधिकार है। उपभोक्ता को यह अधिकार प्राप्त है कि जिन वस्तुओं को खरीद रहा है या खरीदने वाला है वो उस की संपत्ति या जीवन के लिए नुकसानदायक या हानिकारक ना हो। ऐसा नहीं है की उत्पाद या सेवाएं सिर्फ तात्कालिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए खरीदी जाती है बल्कि उनमे दीर्घकालिक उपयोग के हिन् निहित होते हैं। हालांकि किसी उत्पात को खरीदने के लिए पहले उसकी गुणवत्ता की जांच कर लेनी चाहिए। इस गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के मानक भी उत्पादों को दिए जाते हैं जैसे – एगमार्क, आई एस आई आदि।

जानकारी/ सूचना का अधिकार

दूसरा प्रमुख अधिकार है जानकारी का अधिकार। उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह उस उत्पाद की गुणवत्ता, मात्रा , क्षमता, शुद्धता, मानक, मूल्य आदि विषयों में पूर्ण एवं स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकें। यह अधिकार वस्तु को क्रय करने एवं उपयोग करने में सहायता का निर्णय करने में सहायता प्रदान करता है।

चुनने का भी अधिकार

उपभोक्ता को चुनने का भी अधिकार है। इसका अर्थ है कई प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं में से प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर किसी वस्तु को खरीदने का निर्णय करने का अधिकार। जहां पर मात्र एक कम्पनी, निर्माता या सेवा प्रदाता का एकाधिकार हो वहां पर उपभोक्ता को यह अधिकार प्राप्त नहीं होता। क्योंकि तब उसे कोई अन्य उत्पाद या सेवा को चुनने का अधिकार प्राप्त नहीं होता। इससे वह गुणवत्ता पूर्वक वस्तु या सेवा प्राप्त करने में असमर्थ रहता है। इसीलिए उपभोक्ता को यह अधिकार दिया गया है कि वह विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं में से किसी एक को चुन सकें।

सुने जाने का अधिकार

इस अधिकार का अर्थ है कि उपभोक्ता के हित से संबंधित पक्ष को किसी सक्षम अधिकरण या फोरम पर सुना जाए और उन पर विचार किया जाए। इस अधिकार में विभिन्न मंचों पर उपभोक्ता के हित से संबंधित विषयों पर उपभोक्ताओं के प्रतिनिधि संगठनो को अपनी बात रखने का अधिकार भी शामिल है। उपभोक्ताओं को सामूहिक रूप से गैर राजनीतिक गैर व्यापारिक संगठन बनाने और उपरोक्त मंचों पर प्रतिनिधित्व करने का अधिकार भी प्राप्त है जो कि सुने जाने के अधिकार में शामिल है।

क्षतिपूर्ति या समाधान का अधिकार

वस्तु या सेवा में हुई किसी त्रुटि अथवा उस से पहुंचे किसी नुकसान या फिर उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति अथवा समाधान प्राप्त करने का अधिकार भी उपभोक्ताओं को प्राप्त है। भले ही यह कितने ही कम मूल्य का क्यों ना हो। शासन और अन्य संस्थाएं यह सुनिश्चित करती है कि उपभोक्ताओं को उचित समाधान अथवा क्षतिपूर्ति प्राप्त हो सके।

उपभोक्ता शिक्षा से संबंधित अधिकार

यह एक महत्वपूर्ण अधिकार है क्योंकि इसमें उपभोक्ता अधिकारों से संबंधित ज्ञान, शिक्षा एवं कुशलता प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता को अधिकार प्रदान किया गया है। प्रत्येक उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह जान सके कि उसके अधिकार क्या हैं एवं उनका पालन कैसे कराया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में या अधिकार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि सेवा प्रदाताओं अथवा कंपनियों द्वारा पिछड़े क्षेत्रों में शोषण की संभावना अधिक होती है। इस अधिकार के पालन से ही उपभोक्ता अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

 

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