यदि किसी व्यक्ति ने अपनी जीवन बीमा की पॉलिसी में नॉमिनी के कॉलम में मां या किसी अन्य व्यक्ति का नाम दे दिया है तो उसका क्लेम मां या उसी व्यक्ति को ही मिलेगा। भले ही क्लेम पत्नी और बच्चों की तरफ से क्यों नहीं किया गया हो।

जुलाई 2023 में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (National Consumer Dispute Redressal Commission) ने अपने एक फैसले में
पत्नी एवं बच्चों को बीमा पॉलिसी क्लेम देने से इनकार कर दिया क्योंकि बीमा पॉलिसी में नॉमिनी की तौर पर मृतक की मां का नाम दर्ज था।

पूरा मामला समझें

चंडीगढ़ का यह मामला जिला उपभोक्ता फोरम, चंडीगढ़ के समक्ष 2019 में आया। दूसरी अपील में यह मामला एनसीडीआरसी (NCDRC), के समक्ष सुनवाई हेतु पहुंचा।

अमरदीप सिंह ने अपने जीवन काल में 3 बीमा पॉलिसी ली थी, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई। मृतक ने पॉलिसी एलआईसी (LIC) से ली थी। बीमा पॉलिसी लेते समय अविवाहित थे इसलिए उन्होंने पॉलिसी में नॉमिनी के तौर पर अपनी मां को नामित किया था। बाद में विवाह के बाद भी उन्होंने उन पॉलिसी में नॉमिनी कोई परिवर्तन नहीं किया जबकि उनके बच्चे भी हो चुके थे। उनके निधन के पश्चात बीमा कंपनी एलआईसी पॉलिसी के नियम शर्तों के अनुसार नॉमिनी जोकि अमरदीप सिंह की मां थीं, उन को पूरी क्लेम राशि का भुगतान कर दिया।

बीमा कंपनी एलआईसी के द्वारा मृतक अमरदीप सिंह की माता को बीमा राशि के पूर्ण भुगतान करने पर मृतक अमरदीप सिंह की पत्नी ने जिला उपभोक्ता अदालत में केस दर्ज कर दिया। इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने 15 नवंबर 2019 को आदेश दिया कि तीनों बीमा पॉलिसी कुल रकम को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाए। और मृतक की मां पत्नी और बच्चों को बराबर बराबर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। तीनों बीमा पालिसी की कुल राशि पर 9% सालाना की दर से प्याज का भुगतान तीनों पक्षकारों को करने का आदेश भी दिया गया। तथा मृतक की पत्नी को मानसिक परेशानी के लिए 20000 और विधिक खर्चों के लिए 10,000 का जुर्माना भी बीमा कंपनी एलआईसी पर लगाया।

बीमा कम्पनी ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील दाखिल की लेकिन राज्य उपभोक्ता फोरम में भी जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले की ही पुष्टि की और बीमा कंपनी को कोई राहत नहीं दी।

मामले में दूसरी अपील

इस मामले में दूसरी अपील बीमा कंपनी एलआईसी के द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग दिल्ली में की गई।
डॉ इन्द्रजीत सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी तथ्यों पर गौर कर 19 जुलाई 2023 को अपने आदेश में जिला उपभोक्ता अदालत और राज्य उपभोक्ता अदालत के पैसों को पलटते हुए कहा कि मृतक ने अपने विवाह के पश्चात भी तीनों बीमा पॉलिसी में नॉमिनी के तौर पर अपनी मां को ही रखा था और उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया था, इसलिए बीमा पॉलिसी की शर्तों एवं अनुबंध के तहत एलआईसी के द्वारा पॉलिसी की नॉमिनी यानी उसकी मां को किया गया पूर्ण भुगतान उचित है एवं विधिपूर्ण है।