हाल के वर्षों में खरीदारी और भुगतान के डिजिटल तरीकों के उपयोग में वृद्धि हुई है। इंटरनेट और तेज गति और सुलभता के कारण खरीदारी करना बहुत ही आसान हो गया है। लेकिन इस के साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई है। जालसाज ठगने के नए–नए तरीके खोज रहे हैं, विशेष रूप से आम और भोले–भाले लोगों को उनकी गाढ़ी कमाई से ठगने के तरीके ईजाद कर रहे हैं। जो व्यक्ति खरीदारी के डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग में सतर्क नहीं हैं या ऐसे लोग जो तकनीकी वित्तीय इको–सिस्टम से पूरी तरह परिचित नहीं हैं, वे इस ठगी के तरीकों का आसान शिकार हो रहे हैं। इसलिए जालसाजों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के बारे में जनता के बीच जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है। आइए जानते हैं ऑनलाइन धोखाधड़ी के यह कौन-कौन से तरीके हैं –
सायबर अपराधी रोज़ ठगने के नए–नए तरीके खोज रहे हैं, विशेष रूप से आम और भोले–भाले लोगों को उनकी गाढ़ी कमाई चुराने के तरीके ईजाद कर रहे हैं। जो व्यक्ति खरीदारी के डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग में सतर्क नहीं हैं या ऐसे लोग जो तकनीकी सिस्टम से पूरी तरह परिचित नहीं हैं, वे इस ठगी के तरीकों का आसान शिकार हो रहे हैं। इसलिए जालसाजों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के बारे में जनता के बीच जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है। आइए जानते हैं ऑनलाइन धोखाधड़ी के यह कौन-कौन से तरीके हैं –
कैसे पता करें फोन में वायरस है – मोबाइल वायरस कई प्रकार के होते हैं, नए-नए प्रकार के वायरस रोज हमारे फोन और कंप्यूटर पर हमला करते रहते हैं। आजकल मोबाइल में वायरस का पता आसानी से नहीं लगाया जा सकता लेकिन फिर भी कुछ तरीके हैं जिन से पता चल सकता है कि आपके फोन में वायरस आ गया है।
वायरस आपकी सूचनाओं को हैकर तक भेजने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करेगा, इसका मतलब है कि अगर आपके फोन में वायरस आ गया है तो आपके मोबाइल में डेटा का यूज काफी बढ़ जाएगा। वायरस कई बैकग्राउंड में कई टास्क को रन करेगा और लगातार इंटरनेट से कम्युनिकेट करता रहेगा।
कई साइबर एक्सपर्ट्स लोगों को दुकानों, पेट्रोल पंप और ऑनलाइन पेमेंट के लिए डेबिट कार्ड की जगह क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इसकी वजह यह है कि बैंक और क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियां क्रेडिट कार्ड, नेटवर्क और सर्वर की सिक्योरिटी पर बहुत अधिक ध्यान देती हैं। इसकी दूसरी वजह यह है कि डेबिट कार्ड या बैंकिंग धोखाधड़ी में आपके रियल अकाउंट से रियल पैसे चले जाते हैं और काफी मुश्किल और समय लगने के बाद ही ये वापस मिल पाते हैं। दूसरी ओर, क्रेडिट कार्ड में यह जोखिम भी कम होता है क्योंकि अगर आप समय पर फ्रॉड की सूचना देते हैं तो बैंक या क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनी मामले की जांच करते हैं और मामला सही पाए जाने पर आपको कुछ भी भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी।
डिजिटल वर्ल्ड में सुविधाओं के साथ-साथ साइबर क्राइम और फ्रॉड के केस लगातार बढ़ रहे हैं। फोन को हैक करके बैंक अकाउंट खाली करने के मामले भी अब सामने आने लगे हैं। ऐसा ही मामला महाराष्ट्र से सामने आया है। एक बिजनेसमेन के स्मार्टफोन को कथित तौर पर हैक करके उसके अकाउंट से करीब 99.50 लाख रुपये उड़ा दिए गए हैं।
पुलिस के अनुसार, कथित हैकिंग 6-7 नवंबर के बीच हुई और नेट बैंकिंग के जरिए बिजनेसमेन के बैंक अकाउंट से अन्य अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया है। बता दें कि हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, तेलंगाना के साथ-साथ महाराष्ट्र में साल 2021 में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले देखने मिले हैं।
डार्क वेब क्या है? डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है, जिसे सर्च इंजन पर इंडेक्स नहीं किया जाता है। यह इंटरनेट का एक ऐसा हिस्सा है जहां ड्रग्स, बंदूकें और कई तरह की ख़ूफ़िया सूचानएं बिकती हैं। इसे ‘डार्क वेब’ कहते हैं. इंटरनेट सूचनाओं का एक अंतहीन भंडार है.
लेकिन ज़्यादातर लोग इसके क़रीब 1% को ही इस्तेमाल करते हैं – यानी ‘सरफेस वेब’ . उसके नीचे, ‘डीप वेब’ में वो डेटा होता है, जिसे आप सर्च करके नहीं ढूंढ सकते। 99% इंटरनेट असल में सुरक्षा की इस परत के नीचे होता है, जो पासवर्ड और दूसरी सुरक्षा के पीछे छिपा होता है.
निजता का अधिकार आज के समय में फोटो और वीडियो बनाना और उन्हें वायरल करना बहुत आसान हो गया है। इससे हमारे निजता के अधिकार और सम्मान के अधिकार के उल्लंघन की संभावनाएं भी बढ़ गई है। आप की सहमति के बिना आपकी तस्वीर वीडियो बनाना किसी भी तरीके से सही नहीं ठहराया जा सकता। प्रत्येक व्यक्ति की एक गरिमा होती है और निजी स्पेस होता है। तो आइए जानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति आपका फोटो या वीडियो बना ले या वायरल कर दे तो आपके पास क्या उपाय उपलब्ध है।
‘जूस जैकिंग’ सायबर अपराध का नया तरीका जूस जैकिंग क्या है ?** **
चार्जिंग पोर्ट 2 तरह के हो सकते हैं –
AC Power Socket – यह सामान्य तौर पर घरों में पाया जाने वाला बिजली का सॉकेट होता है जिसमे एडेप्टर जरूर चार्जिंग केबल द्वारा फोन चार्ज किया जाता है। यह सुरक्षित होता है और इस से कोई डेटा चोरी होने की संभावना नहीं होती। USB तो USB charging point – इसमें डायरेक्ट यूएसबी केबल लगाकर मोबाइल को चार्ज किया जाता है, इस विधि से डाटा भी ट्रांसफर होता है। इसमें मालवेयर या हानिकारक एप्लिकेशन फोन में इंसटाल की जा सकती हैं। मालवेयर (Malware) क्या होते हैं ?
सॉफ्टवेयर क्या होता है ? किसी भी कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को विशेष कार्य करने के लिए जिन निर्देशों की जरुरत पड़ती है वे प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर कहलाते हैं। ये विशेष कोड्स के द्वारा बनाये जाते हैं।
सॉफ्टवेयर के प्रकार : 1) कार्यों के आधार पर सॉफ्टवेयर का वर्गीकरण – कार्यों के आधार परबांटा जाय तो सॉफ्टवेयर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –
सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर यूटिलिटी सॉफ्टवेयर 1 .
ऐसे अपराध जिन में कंप्यूटर, कम्प्यूटर से जुड़े उपकरण और कम्प्यूटर नेटवर्क या इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ हो, साइबर अपराध कहलाते हैं। इन्हे मुख्य रूप से 3 श्रेणियों में बनता जा सकता है।
सायबर अपराध के प्रकार व्यक्ति के विरुद्ध सायबर अपराध। संपत्ति के विरुद्ध सायबर अपराध। सरकार के विरुद्ध सायबर अपराध। कुछ प्रमुख सायबर अपराध : सायबर हैकिंग- किसी के कम्प्यूटर में अनाधिकृत रूप से निजी जानकारी को चुराना या फिर उसमे फेर बदल करना। इसमें शामिल है :