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कई साइबर एक्सपर्ट्स लोगों को दुकानों, पेट्रोल पंप और ऑनलाइन पेमेंट के लिए डेबिट कार्ड की जगह क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इसकी वजह यह है कि बैंक और क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियां क्रेडिट कार्ड, नेटवर्क और सर्वर की सिक्योरिटी पर बहुत अधिक ध्यान देती हैं। इसकी दूसरी वजह यह है कि डेबिट कार्ड या बैंकिंग धोखाधड़ी में आपके रियल अकाउंट से रियल पैसे चले जाते हैं और काफी मुश्किल और समय लगने के बाद ही ये वापस मिल पाते हैं। दूसरी ओर, क्रेडिट कार्ड में यह जोखिम भी कम होता है क्योंकि अगर आप समय पर फ्रॉड की सूचना देते हैं तो बैंक या क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनी मामले की जांच करते हैं और मामला सही पाए जाने पर आपको कुछ भी भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी।

इन सबके बावजूद कई बार लोग क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के शिकार भी हो जाते हैं। आइये जानते हैं ये कैसे होता है और इस से कैसे बचें –

कार्ड स्कीमिंग –

इस तरह के फ्रॉड अक्सर कार्ड स्वैपिंग के वक़्त ही होते हैं। चालाक किस्म के दुकानदार स्वैप मशीन से अटैच सिस्टम में की-लॉगर इनस्टॉल करके रखते हैं। ऐसे में जब यूजर बिल पे करने के लिए कार्ड स्वैप करता है तो की-लॉगर में उसका पासवर्ड और कार्ड से जुड़ी जानकारी जैसे सीवीवी नंबर और एक्सपायरी डेट सेव हो जाती है। बाद में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए यूजर की इन्हीं डिटेल्स का इस्तेमाल किया जाता है और उसके अकाउंट से पैसे उड़ा लिए जाते हैं।

कार्ड क्लोनिंग –

कार्ड क्लोनिंग मतलब डुप्लीकेट कार्ड बना लेना। कभी-कभी डेबिट कार्ड स्वाइप करने के दौरान कार्ड की मैगनेटिक स्ट्रिप पर मौजूद सारा डाटा दूसरे कंप्यूटर या लैपटॉप में फीड हो जाता है। ये सब होता है कार्ड मशीन में ‘स्कीमर डिवाइस’ लगे होने की वजह से। इसके बाद प्रिंटर के जरिए क्लोन कार्ड यानी कॉपी को प्रिंट किया जाता है, जोकि लगभग ओरिजनल कार्ड की तरह ही होता है।

कार्ड डिटेल्स का कैसे होता है मिसयूज

हैकर्स पेमेंट कार्ड की डिटेल को बल्क में खरीदते हैं. इसके बाद वो एक-एक करके यूजर्स को टारगेट करते हैं और हैकिंग का फॉर्मूला सही से काम करने पर यूजर के अकाउंट से पैसे उड़ा लेते हैं. हालांकि ये डाटा कहां से लिया जाता है इसका सोर्स पता नहीं चल पाया है लेकिन शुरुआती जानकारी के मुताबिक ज्यादातर कार्ड डिटेल्स को ATM और स्वैप मशीन में चोरी छिपे लगाए गए स्कीमिंग डिवाइस से कलेक्ट किया जाता है.

स्कीमिंग डिवाइस क्या है?

कुछ शातिर दुकानदार स्वैप मशीन से जुड़े कंप्यूटर में की-लॉगर यूज करते हैं. की-लॉगर यानी डाटा स्टोर करने वाला सॉफ्टवेयर. इसके बाद जब कोई कस्टमर इन मशीनों का इस्तेमाल कर पेमेंट करता है तो उक्सकी कार्ड डिटेल और पासवर्ड की-लॉगर के सॉफ्टवेयर पर सेव हो जाता हैं. इस पूरी प्रोसेस को स्कीमिंग कहते हैं.

एटीएम मशीन में भी है खतरा

कार्ड स्कीमिंग और क्लोनिंग से जुड़े मामले न सिर्फ कार्ड स्वैपिंग बल्कि एटीएम से पैसे निकालने को लेकर भी सामने आए हैं. एटीएम मशीनों में छोटी स्कीमर डिवाइस या पतली फिल्म लगाई जाती है जो कार्ड का सारा डाटा कॉपी कर लेती है. बचा-कुचा काम एटीएम के आस-पास छुपे कैमरा कर देते है. कैमरे में यूजर द्वारा इंटर की गई पासवर्ड डिटेल कैप्चर कर ली जाती है. एक बात और इस काम में बैंको का कोई हाथ नहीं होता, सारा कारनामा जालसाजों का होता है.

डेबिट – क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से बचने के लिए आजमाएं ये टिप्स :

नया क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड मिलते ही चेक करें –

  1. सबसे पहले, सुनिश्चित करें कि एक नए क्रेडिट कार्ड किट/लिफाफे के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है।
  2. कार्ड मिलते ही उसके पीछे हस्ताक्षर करें।
  3. कम्पनी की वेबसाइट या किट में दिए गए तरीके से ही नया पासवर्ड जनरेट करें। गूगल पर सर्च न करें।

क्रेडिट कार्ड को सुरक्षित रखें –

  1. क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्राथमिक कदम क्रेडिट कार्ड को ऐसी जगह पर रखना है जो दूसरों के लिए आसानी से उपलब्ध न हो। खासकर जब आप सार्वजनिक परिवहन से यात्रा कर रहे हों
  2. क्रेडिट कार्ड को हमेशा एक छोटे वॉलेट में सुरक्षित रखें जिससे स्नैचरों या जेबकतरों के लिए मुश्किल हो।
  3. प्रत्येक खरीद के बाद, कार्ड को जल्द से जल्द दूर रखना कभी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि चोर सेल फोन कैमरों का उपयोग करके स्नैपशॉट के माध्यम से क्रेडिट कार्ड की डिजिटल छाप जमा कर सकते हैं।
  4. समय-समय पर अपने बटुए में क्रेडिट कार्ड के कब्जे की पुष्टि करने की भी सिफारिश की जाती है, खासकर जब आपने इसे कुछ समय से उपयोग नहीं किया हो।
  5. क्रेडिट कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी कार्ड की क्लोनिंग या कार्ड की डेटा चोरी होने से होती है. हर जगह और खासकर कुछ भी संदिग्ध लगने पर कार्ड स्वैप करने से बचना चाहिए.

फर्जी फोन कॉल पर कार्ड डिटेल न दें –

  1. कई बार लोगों को फर्जी फोन कॉल आते हैं, सामने वाला खुद को बैंक मैनेजर या अधिकारी  बताता है, आपके अकाउंट को सिक्योर रखने की बात करता है और बदले में आपका कार्ड पिन पूछता है।
  2. क्रेडिट कार्ड स्कैमर आमतौर पर नए सेवा जारीकर्ता या आकर्षक व्यावसायिक ऑफ़र के प्रदाता के रूप में सामने आते हैं, जबकि क्रेडिट कार्ड के बारे में संवेदनशील जानकारी लीक करने के लिए पहले से न सोचा उपयोगकर्ता को धोखा देते हैं।
  3. ऐसे में गलती से भी अपनी पिन डिटेल्स शेयर न करें, किसी के साथ भी कार्ड नंबर, एक्सपायरी डे डेट, सीवीवी, अपनी जन्म तिथि या ओटीपी शेयर ना करें।
  4. तुरंत फोन कॉल की रिपोर्ट करें।
  5. क्रेडिट कार्ड नंबर और क्रेडिट कार्ड से संबंधित अन्य संवेदनशील जानकारी कभी भी फोन या टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से प्रदान नहीं की जानी चाहिए।

अपना डेबिट/क्रेडिट कार्ड किसी को न दें –

  1. गलती से भी अपना डेबिट/क्रेडिट कार्ड किसी को न दें, फिर चाहे वो कितना ही सगा क्यों न हो।
  2. ध्यान दीजिये अगर आप अपने बेटे, बेटी, पति, पत्नी, पिता या माता जैसे निकटतम रिश्तेदार को भी अपना क्रेडिट या डेबिट कार्ड इस्तेमाल करने के लिए देते हैं तो यह अनधिकृत ट्रांसेक्शन कहलायेगा।
  3. अपने अलावा किसी अन्य को क्रेडिट या डेबिट कार्ड देना अधिकांश बैंक और क्रेडिट  कार्ड कंपनियों की शर्तों के खिलाफ है।
  4. अगर उनके द्वारा इस्तेमाल करने पर सायबर अपराधियों के द्वारा कार्ड को कॉपी कर लिया जाये या फ्रॉड कर लिया तो बैंक आपको क्षतिपूर्ति देने से इंकार कर  सकते हैं।  यह आपकी गलती मानी जाएगी।
  5. इसलिए नियम व शर्तों को अच्छे से जान लीजिये।

कार्ड या किसी कागज के ऊपर पासवर्ड न लिखें –

कई लोग कार्ड के ऊपर पासवर्ड भी लिख देते हैं, जिससे चोरों का काम और आसान हो जाता है।

  1. इसलिए कभी भी पासवर्ड लिख कर जेब में या पर्स में न रखें।
  2. यह भी सलाह दी जाती है कि पासवर्ड को याद रखें और भविष्य के संदर्भ के लिए इसे कहीं भी लिखने से बचें।

अधिकृत मोबाईल एप्लिकेशन का ही उपयोग करें।

  1. बैंक या क्रेडिट कार्ड कम्पनी की ऑफिशियल मोबाईल एप्लिकेशन का ही प्रयोग करें।
  2. मल्टीपल फैक्टर सिक्योरिटी को एनेबल करें।
  3. संभव हो तो बायोमीट्रिक लॉगिन को इस्तेमाल करें।
  4. बैंक के ऑफिशियल ऐप में जाकर हर ट्रांजैक्शन की लिमिट सेट करें।

बैंक से लिंक फोन नंबर को हमेशा चालू रखें

  1. अपने बैंक से लिंक फोन नंबर को इस्तेमाल में रखें और अपडेट करते रहें।
  2. अगर यह अपने आप बंद हो जाए तो तुरंत कम्पनी से संपर्क कर के चालू करवाएं।  क्युकी ऐसा भी हो सकता है कि किसी सायबर अपराधी ने आपका फोन बंद करवा के फिर कही और से दूसरी सिम निकलवा ली हो और उस पर OTP मंगवा कर बैंक अकाउंट से पैसे निकाल ले या ट्रांसेक्शन कर ले।

स्किमर डिवाइस जांच लें –

  1. कभी-कभी एटीएम मशीन में स्किमर डिवाइस लगे होते हैं, ताकि कार्ड का डाटा कॉपी किया जा सके।
  2. पैसे निकालने से पहले, स्वैपिंग एरिया के पास हाथ घुमाकर जांच लें कि कोई स्किमर तो नहीं है, और कोई चीज नजर आए तो रुक जाएं।
  3. कीपैड का एक कोना दबाकर भी परख लें, अगर कीपैड में स्किमर होगा तो उसका एक सिरा बाहर आ जाएगा.

होटल, पेट्रोल पंप, दुकान जैसी जगहों पर अपने सामने भुगतान करें –

  • होटल, पेट्रोल पंप, दुकान जैसी जगहों पर कार्ड क्लोनिंग के मामले जोर पकड़ते हैं, इसलिए कार्ड भुगतान के लिए दूर ले जाने न दें। अपने सामने भुगतान करवाएं।

भुगतान की राशि पर नज़र रखें –

  1. कुछ चालाक दुकानदार मशीन में एक्चुअल की बजाय बढ़ाकर अमाउंट डाल देते हैं, और यूजर गलती से ज्यादा पैसे पे कर देता है.
  2. स्वैपिंग के लिए कार्ड देते वक़्त पेमेंट अपने सामने ही करें।
  3. फाइनल अमाउंट चेक कर लें।

संदिग्ध वेबसाइट के लिए न करें कार्ड का इस्तेमाल –

  1. क्रेडिट और डेबिट कार्ड ग्राहकों को संदिग्ध वेबसाइटों पर अपने कार्ड के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ऐसी वेबसाइटों को कार्ड की जानकारी नहीं देनी चाहिए, क्योंकि वे डेटा चुरा सकते हैं। सुरक्षा का एक सामान्य नियम उस ऑनलाइन वेबसाइट की वैधता को सत्यापित करना है जिससे आप खरीदारी कर रहे हैं। यह जाँच जरूर करें कि क्या उसी जैसे नाम की कोई अन्य वेबसाइट तो नहीं है।
  2. सुनिश्चित करें कि जिस भी साइट पर आप अपने कार्ड की डिटेल शेयर कर रहे हैं, उसके URL में ‘https’ है या नहीं। साइट के एड्रेस बार में ‘https://’ चेक करके हमेशा सुनिश्चित करें कि वेबसाइट सुरक्षित है।
  3. यह भी जांच कर लें ki वेबसाइट के पास SSL प्रमाणपत्र है। आम तौर पर असुरक्षित वेबसाइटों के पास एसएसएल (SSL) प्रमाणपत्र नहीं होते हैं।
  4. आजकल बहुत सी फिशिंग वेबसाइट आ रही हैं जो कम कीमत में सामान बेचने का दावा करती हैं. अक्सर सस्ते के चक्कर में लोग इन वेबसाइट के जरिए हो रही लूट का शिकार हो जाते हैं. इसलिए, किसी भी नयी वेबसाइट पर जाने से पहले एक बार गूगल पर रिव्यू सर्च कर लें,
  5. कोशिश करें कि वेबसाइट पर पेमेंट के लिए कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन ही चुनें.
  6. ईमेल लिंक के माध्यम से उत्पन्न फ़िशिंग खतरों से अवगत रहें। कई बार सायबर फ्रॉड बैंक या कम्पनी के लोगो, क्रेडिट कार्ड प्रदाता या व्यवसायों के ट्रेडमार्क आदि की हूबहू नकल कर लेते हैं।

जैसे, आप FLIPKART की जगह FILPKART पर शॉपिंग कर के अपने iPHONE का इन्तजार ही करते रहो और कोई फ्रॉड आपके पैसे पे गोवा में ऐश कर रहा हो।

‘टैप एंड पे’ सुविधा की लिमिट कम रखें –

  1. आज कल वाई फाई वाले कार्ड से सिर्फ मशीन पर टच करके पेमेंट किया जा सकता है और पिन डालने की जरुरत नहीं होती।
  2. चोर आपके कार्ड को चुराने के बाद कम कीमत वाले उत्पाद खरीदने के लिए क्रेडिट कार्ड की टैप एंड पे सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।
  3. इसलिए या तो टेप एन्ड पे सुविधा को बंद रखें या लिमिट को कम रखें ताकि चोर ज्यादा पेमेंट न कर सके और बार बार छोटे अमाउंट का भुगतान करना पड़े।  इस से आप को कई बार SMS और ईमेल आएंगे।
  4. इन ट्रांसेक्शन के SMS और ईमेल पर ध्यान दें, इनको नजरअंदाज न करें।

अपने स्टेटमेंट पर नजर रखें  व बिलिंग विवरण की समीक्षा करें –

  1. क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए क्रेडिट कार्ड धारकों को अपने क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट पर नजर रखनी चाहिए व प्रत्येक माह के बिलिंग विवरण की लगातार समीक्षा करना चाहिए। ताकि वे उन खरीदारी या ट्रांजैक्शन को देख सकें, जो उन्होंने नहीं की है। ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड लेनदेन की निगरानी करें।  अनधिकृत ट्रांजैक्शन क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का एक निश्चित संकेत हैं। कार्डधारक बैंक द्वारा लगाए गए अनधिकृत (unauthorized) शुल्क या जुर्माना की जांच भी करनी चाहिए।
  2. सेवा प्रदाता आपको एसएमएस और ईमेल अलर्ट के माध्यम से और ऑनलाइन बैंकिंग या एससी मोबाइल के माध्यम से भी अपने क्रेडिट कार्ड लेनदेन की निगरानी करने की सुविधा देता है। आप रीयल टाइम अलर्ट प्राप्त कर सकते हैं जो क्रेडिट कार्ड के खर्चों पर नज़र रखने में सक्षम बनाता है।
  3. अनधिकृत लेनदेन के मामले में, यह अनुशंसा की जाती है कि आप इसकी तुरंत रिपोर्ट सेवा प्रदाता को करें और कार्ड को ब्लॉक कर दें। कार्ड धारकों द्वारा क्रेडिट कार्ड सेवा प्रदाता को एक छोटा सा अनधिकृत शुल्क भी तुरंत सूचित किया जाना चाहिए। त्वरित सूचना प्रोटोकॉल आमतौर पर कार्ड सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान किए जाते हैं, और यदि आप जल्द से जल्द कुछ असामान्य देखते हैं, तो सेवा प्रदाताओं को सूचित करना आवश्यक है।
  4. आमतौर पर, इस मामले में, सेवा प्रदाता आपको क्रेडिट कार्ड खाता बंद करने और एक नई खाता संख्या के लिए आवेदन करने का निर्देश देगा। आम तौर पर लगभग हर क्रेडिट कार्ड के ट्रांसेक्शन पर  उपयोगकर्ता को हर बार क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने पर एक एसएमएस और ईमेल सूचना मिलती है।

ऑफलाइन, ऑनलाइन या अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन को कर सकते हैं  बंद –

  1. कई क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियां ग्राहकों को एक सेवा प्रदान करती हैं, जिसके उपयोग से वे ऑफलाइन, ऑनलाइन या अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन को बंद कर सकते हैं। आप लेन-देन को सीमित करने के लिए सुविधा का उपयोग कर सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको कोई नुकसान न हो।
  2. इंटरनेशनल ऑनलाइन शॉपिंग करते हुए क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर सिर्फ कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट और सीवीवी नंबर जरुरी होता है, पॉसवर्ड या ओटीपी के बिना भी आसानी से शॉपिंग हो सकती है।  ऐसे में किसी दुकान पर क्रेडिट कार्ड के जरिए बिल पेमेंट करते वक़्त कार्ड को यूं रखें कि आपका सीवीवी नंबर कोई अन्य देख न सके.

फ्रॉड प्रोटेक्शन का करें यूज

  1. आजकल कई क्रेडिट कार्ड ‘धोखाधड़ी सुरक्षा योजना’ के साथ आते हैं, यह कार्ड के बीमे जैसी योजना है।  जो किसी भी धोखाधड़ी गतिविधि के मामले में आपके पैसे को सेफ करता है।
  2. कार्डधारक अपने क्रेडिट कार्ड को धोखाधड़ी से बचाने के लिए अतिरिक्त बीमा भी खरीद सकते हैं। इसमें आपके कार्ड से धोखाधड़ी होने पर आपको क्षतिपूर्ति मिल सकती है।

अपने क्रेडिट कार्ड नंबर के पेपर रद्दी में न डालें बल्कि नष्ट करें –

  • क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से बचने के लिए यह एक और आसान और जरुरी कदम है। क्रेडिट कार्ड बिलिंग स्टेटमेंट या वेलकम किट में आमतौर पर पूरा क्रेडिट कार्ड नंबर और अन्य संवेदनशील जानकारी छपी होती है। क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट या वेलकम किट को  डस्टबिन में डालने से पहले उसे पूरा फाड़े, और नष्ट करें ताकि वो जानकारी किसी अन्य को न मिले।

खाली रसीदों पर हस्ताक्षर –

  • बिल पर हस्ताक्षर करने से पहले क्रेडिट कार्ड रसीद पर राशि को अच्छी तरह से सत्यापित किया जाना चाहिए। रिक्त स्थान के साथ क्रेडिट कार्ड रसीद के मामले में, यह सलाह दी जाती है कि हस्ताक्षर करने से पहले रिक्त स्थान को शून्य (0) से भरें या स्क्रैच करें।

खोए या चोरी हुए कार्ड की तत्काल रिपोर्टिंग –

  • सेवा प्रदाता को जल्द से जल्द गुम या चोरी हुए कार्ड की रिपोर्ट करने की सलाह दी जाती है। एक ग्राहक के रूप में, आपको याद रखना चाहिए, जितनी जल्दी खोए हुए कार्ड की सूचना, उतनी ही जल्दी क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी की रोकथाम। क्रेडिट कार्ड खो जाने या चोरी होने की स्थिति में सेवा प्रदाता को सूचित करने में देरी से बचने के लिए हमेशा अपनी फोनबुक में क्रेडिट कार्ड कंपनी का ग्राहक सेवा नंबर रखें। ऐसे मामलों में केवल शीघ्र रिपोर्टिंग से ही क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

मजबूत पासवर्ड बनायें –

  1. इस डिजिटल युग में, क्रेडिट कार्ड नंबर आमतौर पर एक्सेस की आसानी और एक-क्लिक खरीदारी के लिए ऑनलाइन संग्रहीत किए जाते हैं।
  2. कुछ सबसे सुरक्षित वेबसाइटों पर एक मजबूत पासवर्ड बनाने का एक बुनियादी नियम अपर केस (A,B,C…) और लोअर केस कैरेक्टर (a,b,c..) और नंबर (1,2,3) दोनों के संयोजन का उपयोग करना है।
  3. अगर पॉसवर्ड में * और # जैसे कैरेक्टरों को भी जोड़ सकें तो और भी बेहतर होगा।
  4. अपना जन्मदिन, सालगिरह और बच्चो का नाम पासवर्ड में न रखें ये आसानी से पता किये जा सकते हैं।  हो सकता है आपके फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज पे ही ये जानकारी मिल जाये। 1234 या 1111, 1122  जैसे सीरीज भी न पासवर्ड में न रखें।
  5. सुनिश्चित करें कि आप अपना पिन याद रखते हैं और दुरुपयोग से बचने के लिए इसे बार-बार बदलते हैं।

RFID- ब्लॉकिंग वॉलेट का उपयोग करना –

  1. कॉन्टैक्टलेस क्रेडिट कार्ड आमतौर पर आरएफआईडी चिप के साथ आते हैं जो एक आसान संचालन की अनुमति देता है, जहां उपयोगकर्ताओं को कार्ड स्वाइप करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  2. क्रेडिट कार्ड के धोखेबाज किसी व्यक्ति के बगल में खड़े होकर कार्ड के आरएफआईडी डेटा को स्कैन कर सकते हैं।
  3. आरएफआईडी-ब्लॉकिंग वॉलेट इस्तेमाल करना क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

खाता बंद करवाने के बाद कार्ड को पूर्ण नष्ट करें –

  1. समाप्त और रद्द किए गए क्रेडिट या डेबिट कार्ड को भी बीच में से काट दिया जाना चाहिए।
  2. ख़ास तौर पर उसमे लगी मेग्नेटिक चिप वाली काली पट्टी को नष्ट करना आवश्यक है।

जागरूक बनें –

  1. क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी सुरक्षा ग्राहक से शुरू होती है।
  2. हर क्रेडिट कार्ड धारक के लिए जागरूक होना जरूरी है।
  3. हमेशा स्कैमर और फ़िशिंग के संभावित खतरों से अवगत रहें।
  4. फ्रॉड के नए नए तरीकों के बारे में जानकारी रखें।

 

फ्रॉड के शिकार हो जाएं तो क्या करें –

  1. संदिग्ध ट्रांसेक्शन को तुरंत मोबाईल एप्लिकेशन से या कम्पनी के हेल्पलाइन पर कॉल करके ‘डिस्पुटेड’ में डालें।
  2. अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवा दें।
  3. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि शिकायत जल्द से जल्द तीन दिनों (वर्किंग) के अंदर दाख़िल हो जानी चाहिए। अगर आपके साथ क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी हो गई है और तीन कार्यदिवस यानी वर्किंग डे में इसकी सूचना बैंक को दे देते हैं तो आपके ऊपर कोई देनदारी नहीं बनेगी। कहीं कहीं यह सीमा मात्र 24 घंटों की है। वहीं, आप 4-7 दिन के भीतर सूचना देते हैं तो आपको मैक्सिम लायबलिटी अमाउंट या फ्रॉड की राशि में से जो कम हो, उसका भुगतान करना होगा. अगर आपके क्रेडिट कार्ड का लिमिट 5 लाख रुपये से कम है तो आपकी अधिकतम देनदारी 10,000 रुपये बनती है. वहीं, कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपकी देनदारी 25,000 रुपये बनेगी. फ्रॉड के 7 दिन बाद सूचना देने पर बैंक के बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी के हिसाब से आपकी देनदारी होगी।  अलग अलग कंपनियों में यह सीमा अलग अलग है। नियम अच्छे से जान लें।
  4.  जल्दी सोचने देने से बैंक या क्रेडिट कार्ड कम्पनी भुगतान रोक देगी।  जितना जल्दी उतना अच्छा।

क्रेडिट या डेबिट कार्ड गुम या चोरी हो जाए तो क्या करें ?

  1. आपको जैसे ही फ्रॉड की जानकारी मिले या क्रेडिट कार्ड गुम या चोरी हो जाए, तत्काल बैंक को सूचित करें और कार्ड को ब्लॉक करवाएं.
  2. इसके तुरंत बाद ऑनलाइन एफआईआर या शिकायत दर्ज कराएं।
  3. शिकायत का रेफरेंस नंबर या स्क्रीनशॉट लेना ना भूलें। यह संभाल कर रखें।
  4. बैंक या क्रेडिट कार्ड कम्पनी के प्रतिनिधि से बात करें।
  5. यह ध्यान रखें कि बैंक का टोल फ्री या हेल्पलाइन नंबर गूगल पर सर्च न करें।  वहां कोई भी फ्रॉड व्यक्ति फर्जी हेल्पलाइन नंबर या मेल  डाल कर खुद बात कर सकता है और आपको दुबारा ठग सकता है।
  6. बैंक या कम्पनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर ही जाएँ और वहां से हेल्पलाइन नंबर निकालें।  या ऑफिशियल एप्लिकेशन में हेल्पलाइन नंबर देखें।

आरबीआई से कर सकते हैं संपर्क

  • बैंक को एक निश्चित अवधि के भीतर मामले की जांच करनी होती है लेकिन बैंक की ओर से बहुत अधिक रुचि नहीं दिखाई जाती है तो आप आरबीआई से शिकायत कर सकते हैं. इसके लिए आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या मिस्ड कॉल नंबर 14440 का सहारा ले सकते हैं.

 

केस 1 –

फरीदाबाद के व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड से, ठगों ने मुंबई में डलवाया पेट्रोल

साइबर ठगों ने ग्रेटर फरीदाबाद में रखे एक क्रेडिट कार्ड से मुंबई में पेट्रोल डलवा लिया। पीड़ित के मोबाइल पर संदेश आने के बाद हैरानी हुई क्योंकि कार्ड उसकी जेब में ही था। पीड़ित ने मामले की शिकायत अपने बैंक में दी। आरोप है कि कार्रवाई करने के बजाय बैंक ने राशि में ब्याज जोड़कर 35 हजार रुपये की राशि कर दी। परेशान होकर पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को दी।

22 दिसंबर 2018 को यशराज ने पुलिस को दी शिकायत में बताया उन्होंने एक पेट्रोल पंप से गाड़ी में पेट्रोल डलवाया था। भुगतान के लिए उन्होंने अपना क्रेडिट कार्ड दिया। कर्मचारी उनके कार्ड को लेकर कमरे में गया और 1500 रुपये की स्लिप थमा दी।
तीन जनवरी 2019 को मोबाइल पर संदेश आया कि उनके कार्ड से मुंबई के एक पेट्रोल पंप 5070.87 रुपये का पेट्रोल डलवाया गया है। जबकि, कार्ड उसके पास ही था। इसके बाद उनके पास अलग-अलग नंबर से भुगतान के फोन आने शुरू हो गए।
हर महीने अलग-अलग नंबर से लोग बैंक से रिकवरी के लिए घर पर आकर भुगतान करने की धमकी देने लगे। बार-बार बैंक को बताने पर भी समस्या का समाधान करने के बजाय, बैंक बकाया राशि पर जुर्माना लगाता रहा। अब राशि बढ़कर 35 हजार के करीब हो गई है। भुगतान ना होने से बैंक ने उनका सिविल स्कोर भी खराब कर दिया। उन्होंने इस बाबत दो बार सीएम विंडो पर भी शिकायत की थी।