मातृत्व अधिनियम, 1961 क्या है, और इसके क्या फायदे हैं

मातृत्व अधिनियम, 1961 क्या है, और इसके क्या फायदे हैं मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून है, जो मातृत्व के समय महिलाओं को उनके पूरे वेतन, छुट्टी और रोजगार की सुरक्षा जैसे कई लाभ प्रदान करता है। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के द्वारा महिलाओं को उनकी मातृत्व अवस्था के समय उनके स्वास्थ्य, उनके रोजगार, नौकरी, एवं शिशु के हित और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पारित किया गया था। इसलिए हम कह सकते हैं कि यह एक महिलाओं एवं शिष्यों की सुरक्षा से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधि है।

वसीयत एक बार लिखने के बाद संशोधित कर सकते हैं

क्या वसीयत एक बार लिखने के पश्चात संशोधित नहीं की जा सकती है ? समाज में यह भी एक आम धारणा है कि अगर वसीयत एक बार लिखवाने के पश्चात पंजीकृत करवा दी गई है तो उसमें फिर कोई संशोधन नहीं किया जा सकता और यदि कोई व्यक्ति अपनी वसीयत को बदलना चाहे तो वह नहीं बदल पाएगा। जब कि यह सही नहीं है। एक व्यक्ति अपने जीवन काल में कितनी भी बार वसीयत को बदल सकता है।

वसीयत की क्या आवश्यकता है

वसीयत की क्या आवश्यकता है ? व्यक्ति सोचता है कि मेरे परिवार और रिश्तेदारों को मेरी सारी इच्छाओं के बारे में पता है, इसलिए वसीयत की आवश्यकता नहीं है। यह एक बड़ी गलत धारणा व्यक्ति के मन में होती है कि उसका परिवार उसके सभी इच्छाओं के बारे में जानता है, और परिवार यह भी समझता है की संपत्ति का बंटवारा उसके बाद कैसे होगा ,और इसलिए किसी प्रकार का कोई मनमुटाव या वाद विवाद उसकी मृत्यु के पश्चात उत्पन्न नहीं होगा। जबकि यह सही नहीं है।

वसीयत क्या है और इसका महत्व

वसीयत वसीयत के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जो आपको जानना जरूरी है वसीयत एक बहुत महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति अपने परिवार, प्रियजन और स्नेही जनों के बीच बांट सकता है, ताकि उसकी मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति के बारे में कोई प्रश्न अथवा वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो। हालांकि समाज में वसीयत के बारे में बहुत सारी भ्रांतियां हैं। और जानकारी के अभाव में व्यक्ति समय रहते वसीयत और अपनी संपत्ति का प्रबंधन नहीं कर पाता।

वसीयत पंजीयन के बाद कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं

क्या वसीयत का पंजीयन करवा लिया तो उस वसीयत को कोई कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकता ? आपको यह जानना बहुत आवश्यक है कि यदि एक बार वसीयत करवाने के पश्चात अपने उसका रजिस्टर कार्यालय मंव पंजीयन करवा लिया है तो भी आपकी वसीयत को न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है और अथवा विवाद उत्पन्न हो सकता है। हालांकि उसके लिए बहुत कम ही कारण न्यायालय के समक्ष रखे जा सकते हैं। जिनमें प्रमुख है - वसीयतकर्ता वसीयत बनाते समय स्वस्थ चित्त नहीं था। इसका अर्थ यह है कि जब वसीयतकर्ता के द्वारा वसीयत का निष्पादन किया जा रहा था, तब वह पागल अथवा उन्मुक्त अथवा किसी और प्रकार से मानसिक रोग से ग्रसित था, जिसके कारण वह अपनी वसीयत स्वतंत्र रूप से लिखने में सक्षम नहीं था।

वसीयत से जुड़ी भ्रांतियां और उनके समाधान

वसीयत से जुडी भ्रांतिया और उनके समाधान वसीयत के बारे में कुछऐसी भ्रांतियां और उनकी सच्चाई जो आपको जानना जरूरी है वसीयत एक बहुत महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति अपने परिवार, प्रियजन और स्नेही जनों के बीच बांट सकता है, ताकि उसकी मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति के बारे में कोई प्रश्न अथवा वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो। हालांकि समाज में वसीयत के बारे में बहुत सारी भ्रांतियां हैं। और जानकारी के अभाव में व्यक्ति समय रहते वसीयत और अपनी संपत्ति का प्रबंधन नहीं कर पाता।

व्यक्ति की मृत्यु के बाद संपत्ति पत्नी बच्चों को मिलेगी

क्या किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात क्या उस की सारी सम्पति उसके पत्नी अथवा पति एवं बच्चों को प्राप्त हो जाएगी समाज में एक धारणा यह भी है कि मेरी मृत्यु के पश्चात मेरी पत्नी अथवा पति एवं बच्चों को स्वाभाविक रूप से मेरी संपत्ति प्राप्त हो जाएगी और किसी अन्य व्यक्ति को उसमें कोई अधिकार प्राप्त नहीं होगा जबकि यह सही नहीं है। अगर आपके द्वारा वसीयत नहीं की गई है तो आपकी संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार के नियमों के अनुरूप ही किया जाएगा इसमें आपके परिवार के निकटतम रिश्तेदार जिसमें आपके पति अथवा पत्नी, बच्चे, माता-पिता एवं अन्य रिश्तेदार भी शामिल हैं।,उन्हें भारतीय उत्तराधिकार अधिनियमों के अनुरूप ही संपत्ति में उनका हिस्सा प्राप्त होगा

सभी प्रकार की संपत्ति की वसीयत कर सकते हैं

क्या सभी प्रकार की संपत्ति की वसीयत की जा सकती है संपत्ति की वसीयत करने में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कुछ संपत्तियां ऐसी भी हैं जिनको वसीयत के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता एक व्यक्ति सिर्फ उस संपत्ति को वसीयत के माध्यम से निष्पादित कर सकता है जो उसकी स्वयं की संपत्ति हो। यदि किसी संपत्ति में किसी अन्य व्यक्ति के हित निहित हैं अथवा किसी अन्य व्यक्ति का स्वामित्व अंतर्निहित है तो वसीयत में उस संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करने का प्रावधान नहीं किया जा सकता।

सादे कागज पर हस्तलिखित वसीयत मान्य है

क्या सादे कागज़ पर हाथ से किखि गयी वसीयत मान्य है ? वसीयत के बारे में एक भ्रांति यह भी है कि अगर वसीयत सादे कागज़ पर लिखकर, साइन कर दी गई है तो वह पर्याप्त है। कुछ हद तक इस प्रकार की वसीयत की मान्यता है, लेकिन इसके लिए भी कुछ अनिवार्य शर्तें कानून में दी गई है - जैसे कि हाथ से लिखी गई वसीयत को उचित रूप से सक्षम साक्षियों के समक्ष निष्पादित किया जाना चाहिए।

भोपाल में लगातार बढ़ रहे तलाक के मामले, जानें हर साल कितने तलाक हो रहे हैं और कितने तलाक लंबित हैं।

Team Lawforce
भोपाल में रोज़ हो रहा है औसतन एक तलाक भोपाल में तलाक लेने की दर बढ़ रही है। भोपाल में हर रोज लगभग एक तलाक हो रहा है। और एक साल में लगभग एक हजार से ज्यादा केस फ़ाइल हो रहे हैं। इसी के साथ लगभग 14 प्रतिशत की दर से नए मामलो में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी हो रही है। एक संगठन के द्वारा भोपाल जिला न्यायालय से सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गयी जानकारी के अनुसार साल 2021 में जिला न्यायालय के समक्ष निम्न मामले लंबित थे –