उपभोक्ताओं को ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए

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ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदने पर सावधानी: उपभोक्ता को ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदने पर निम्‍नलिखित सावधानी रखनी चाहिए : धयान रखें कि ऑनलाइन सामान विश्वसनीय वेसाइट या इ-कॉमर्स पोर्टल से ही खरीदें। वेबसाइट , निर्माता या भेजे वाले यानि सेलर के रिव्यू देख लें और उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें यदि आप वेबसाइट पर पहली बार शॉपिंग कर रहें है तो हमेशा कैश ऑन डिलीवरी भुगतान विकल्प का चयन करें। गुणवत्‍ता जांच, मूल्‍यांकन आदि के आधार पर अपने उपकरण की उपयोगिता की जांच कर लें उत्पाद के नाप क्षमता और विशेषताओं के बारे में जांच करें आपने जिस उत्‍पाद का प्रयोग करने का निर्णय लिया है उसकी डिलीवरी के बारे में पूरी जानकारी लें ध्यान दें कि दर्शाए गए चित्र वास्‍तविक उत्‍पाद से कुछ भिन्‍न हो सकते हैं ध्यान दें कि उत्‍पाद में सुधार के लिए विशिष्‍टताओं तथा बाहरी डिजाइन को बिना किसी नोटिस के बदला जा सकता है वेबसाईट में उत्‍पादों के विवरण के संबंध में कृपया कंपनी या उसके वितरक या सेलर से संपर्क करें सामान की गारंटी अथवा वारंटी के बारे में पूरी जानकारी लें सामान की आफ्टर सेल्स सर्विस यह सपोर्ट के बारे में पूरी जानकारी लें शिपिंग प्रभारों, डिलीवरी टाइम और रद्द करने और लौटाने संबंधी नीतियों और वारंटी संबंधी नियमों के बारे में जानकारी के संबंध में अपने को आश्वस्त करें। इलेक्ट्रॉनिक सामान की गारंटी और वारंटी के बीच अंतर को समझें – वारंटी, सामान्‍यत: किसी उत्‍पाद की एक लिखित गारंटी होती है और इसमें किसी त्रुटिपूर्ण उत्‍पाद की मरम्‍मत या उत्‍पाद या उसके किसी भाग को बदलने की जिम्‍मेदारी की घोषणा की जाती है। दूसरी ओर, गारंटी किसी कार्य को करने, कार्यान्वित करने या पूरा करने की जिम्‍मेदारी समझने का एक समझौता है और उस समझौते को सुरक्षा उपलब्‍ध कराना है। तथापि, कंपनियां सामान्‍यत: अपने उत्‍पादों के संबंध में केवल वारंटी देती हैं।

बैंक के उपभोक्ता बैंक की शिकायत कहां दर्ज करवाएं

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बैंकों कई बार अपने उपभोक्ताओं को तय किए गए मानकों के हिसाब से सुविधा उपलब्ध नहीं कराते हैं। कई बार उनके द्वारा सेवा में कमी अथवा अतिरिक्त या अनावश्यक शुल्क पर लगा दिया जाता है। ऐसे में उपभोक्ता कहां शिकायत दर्ज करवा सकते हैं यह जानकारी हम आपको दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि बैंकिंग प्रणाली मैं बैंक की कौन सी शिकायतें दर्ज करवाई जा सकती है – A – बैंक शाखा सेवा संबंधी: सेवा में विलम्‍ब/मनाही की शिकायत गलत या तय किये गए प्रभार से अधिक सेवा प्रभार (ब्‍याज सहित) बैंक स्‍टॉफ/डीएसए/बैंक मित्र द्वारा दुर्व्‍यवहार की शिकायत B – एटीएमस से संबंधित शिकायत: राशि नहीं निकलना किन्‍तु खाते में पैसे कट जाना एटीएम के माध्‍यम से निकाली गई धनराशि में भिन्‍नता C – अन्य शिकायतें असंतोषजनक शिकायत समाधान गलत या पूरे न किए गए वादे शिकायत की प्रक्रिया : सबसे पहले आप उस शाखा में जहां पर आपका खाता है जाकर अपनी शिकायत लिखित में दर्ज करवाएं यदि शाखा में शिकायत का समाधान नहीं होता है तो उपभोक्‍ता, बैंक के नोडल अधिकारी के पास जा सकता है। आरबीआई के नियम अनुसार नोडल अधिकारी का नाम, पता या अन्य विवरण शाखा में जरूर उपलब्‍ध होना चाहिए। एटीएम सेवाओं के संबंध में शिकायत – उपभोक्‍ता को लेनेदेन के विवरण सहित अपने असफल एटीएम लेनदेन की लिखित सूचना तत्‍काल ही दर्ज करानी चाहिए।

अकाउंट से पैसे निकले, बैंक देगा हर्जाना। 

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नवम्बर 2022 में देहरादून जिला उपभोक्ता अदालत ने उपभोक्ता के खाते से अनाधिकृत रूप से किसी अपराधी द्वारा निकाली गई रकम बैंक को ब्याज सहित 30 दिन में उपभोक्ता को वापस लौटने का आदेश दिया। डा. एमएस बिष्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ जिला उपभोक्ता अदालत में वाद दायर किया। डा. बिष्ट के अनुसार, उनका बैंक में बचत खाता है। जिसमें मोबाइल नंबर एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकृत है। किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके खाते से 5 लाख से अधिक रुपये निकाल लिए। जिसकी उन्हें कोई सूचना एसएमएस से नहीं मिली। वह बैंक में पासबुक में प्रविष्टि कराने गए, तब इसकी जानकारी मिली। बैंक ने कहा कि एसएमएस अलर्ट बंद होना बैंक की लापरवाही है और यह संदेह उत्पन्न करती है कि यह रकम बैंक के ही किसी कर्मचारी की मिलीभगत से एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर निकाली गई।

जानिये कैसे होता है साइबर क्राइम और फ्रॉड

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डिजिटल वर्ल्ड में सुविधाओं के साथ-साथ साइबर क्राइम और फ्रॉड के केस लगातार बढ़ रहे हैं। फोन को हैक करके बैंक अकाउंट खाली करने के मामले भी अब सामने आने लगे हैं। ऐसा ही मामला महाराष्ट्र से सामने आया है। एक बिजनेसमेन के स्मार्टफोन को कथित तौर पर हैक करके उसके अकाउंट से करीब 99.50 लाख रुपये उड़ा दिए गए हैं। पुलिस के अनुसार, कथित हैकिंग 6-7 नवंबर के बीच हुई और नेट बैंकिंग के जरिए बिजनेसमेन के बैंक अकाउंट से अन्य अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया है। बता दें कि हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, तेलंगाना के साथ-साथ महाराष्ट्र में साल 2021 में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले देखने मिले हैं।

खराब खाने की शिकायत करने पर लैब टेस्ट करवाने का पैसा सरकार देगी

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होटल का खाना खराब लगे, तो ग्राहक क्या कर सकता है? अगर आपको लगता है कि आपको परोसे गए खाने में मिलावट है या फिर खाना सही नहीं है, तो आप इसकी श‍िकायत कर सकते हैं। होटल का खाना खराब लगने पर ग्राहक कहां और कैसे शिकायत कर सकता है? होटल या रेस्टोरेंट का खाना खराब लगे तो ऐसे शिकायत करें – जिस खाने का सेंपल आप लेकर आए हैं उसका लैब में टेस्ट करवाएं। खाने में खराबी या मिलावट मिलने पर होटल या रेस्टोरेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

कंपनी ने भेजा फर्जी बिल, ग्राहक ने खुद केस लड़ के जीता, 97 हजार का मुआवजा मिला

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बहुत से लोगों के पास कंपनी की तरफ से फर्जी या गलत बिल आते हैं, लेकिन अधिकतर लोग झंझट से बचने या अधिकारों की जानकारी के अभाव में उस चीज के पैसे दे देते हैं, जिस चीज की सुविधा उन्होंने ली ही नहीं। ऐसी सिचुएशन में लोगों को इन दोनों की तरह जागरुक रहने और अपने अधिकार को पहचानने की जरूरत है। फर्जी बिल के कुछ और मामले पढ़ें

बीमा क्या है और क्यों जरुरी है

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हम सभी सुरक्षित रहना चाहते है लेकिन जीवन अनिश्चितताओं से भरा है, लेकिन किसी अनजानी घटना से चाहे वह आग हो, दुर्घटना हो, बीमारी या मौत से अचानक आर्थिक परेशानी आ सकती हैं। इसी कारण भविष्य में इस प्रकार की किसी भी घटना के जोखिम से बचने के लिए बीमा करवाया जाता है। यह बीमा जीवन का हो सकता है, आग का हो सकता है, दुर्घटना के खिलाफ, बीमारी या कोई और।

भारत में उपभोक्ता को कितने और क्या अधिकार हैं

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उपभोक्ता कौन होता है प्रतिदिन जब हम अपने इस्तेमाल के लिए कोई वस्तु खरीदते हैं तो हम उपभोक्ता बन जाते हैं। इसलिए हमें यह समझना आवश्यक है कि उपभोक्ता का क़ानूनी अर्थ है क्या उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार – उपभोक्ता वह व्यक्ति होता है जो किसी भी वस्तु या सेवा प्राप्त करने के बदले भुगतान करता है। उपभोक्ता का शोषण कैसे होता है अगर हम जागरूक न हों तो हम उपभोक्ता के रूप में शोषण का शिकार भी हो सकते हैं।

चिकित्सीय लापरवाही या मेडिकल नेगलिजेंस क्या है

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डॉक्टरों का कर्त्तव्य है कि वे अपने रोगियों की देखभाल उचित तरीके से करें। सभी चिकित्सकों, अस्पतालों, नर्सिग होम, या अन्य चिकित्सीय पेशेवरों से उम्मीद की जाती है कि वे “देखभाल के चिकित्सा मानक” के अनुरूप उपचार प्रदान करें। ऐसा न करना ही चिकित्सीय लापरवाही या मेडिकल नेगलिजेंस कहलाता है। मेडिकल नेगलिजेंस क्या है? जब किसी डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, नर्सिंग होम या अस्पताल द्वारा किसी मरीज के इलाज या देखभाल में लापरवाही बरती जाती है तब उसे मेडिकल नेगलिजेंस कहते हैं।

उपभोक्ता अदालत में शिकायत कैसे करें

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सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाकर ग्राहकों / उपभोक्ताओं को बेईमान व्यापारियों या विक्रेताओं से बचाने और ग्राहकों के मूल अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गयी है। इसी अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता विवादों को निपटाने के लिए एक तंत्र और विशेष रूप से उपभोक्ता संरक्षण मामलों के लिए उपभोक्ता न्यायालयों/ उपभोक्ता फोरम की स्थापना की गयी है। यह कानून उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रख कर बनाये गए हैं इसीलिए इसमें कोई जटिल कानूनी प्रक्रिया नहीं बनाई गयी है, बल्कि प्रक्रिया को सरल रखने का प्रयास किया गया है।