नवम्बर 2022 में देहरादून  जिला उपभोक्ता अदालत ने उपभोक्ता के खाते से अनाधिकृत रूप से किसी अपराधी द्वारा निकाली गई रकम बैंक को ब्याज सहित 30 दिन में उपभोक्ता को वापस लौटने का आदेश दिया।

डा. एमएस बिष्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ जिला उपभोक्ता अदालत में वाद दायर किया। डा. बिष्ट के अनुसार, उनका बैंक में बचत खाता है। जिसमें मोबाइल नंबर एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकृत है। किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके खाते से 5  लाख से अधिक रुपये निकाल लिए। जिसकी उन्हें कोई सूचना एसएमएस से नहीं मिली। वह बैंक में पासबुक में प्रविष्टि कराने गए, तब इसकी जानकारी मिली। बैंक ने कहा कि एसएमएस अलर्ट बंद होना बैंक की लापरवाही है और यह संदेह उत्पन्न करती है कि यह रकम बैंक के ही किसी कर्मचारी की मिलीभगत से एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर निकाली गई।

उपभोक्ता ने  इस मामले की रिपोर्ट पुलिस थाने में भी दर्ज कराई गई। बैंक को विधिक नोटिस भेज एक माह के अंदर धनराशि का भुगतान करने को कहा गया, पर बैंक ने इससे इन्कार कर दिया। बैंक ने आयोग में इस बात का खंडन किया कि उपभोक्ता के एसएमएस अलर्ट बंद किए गए और उक्त राशि आहरित करने की सूचना उन्हें बैंक आने पर मिली। यह भी कहा कि एटीएम कार्ड के माध्यम से केवल एटीएम कार्डधारक या उसका अधिकृत प्रतिनिधि ही रकम निकाल सकता है। क्योंकि गोपनीय पिन केवल कार्डधारक को ही ज्ञात होता है।

आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह माना कि बैंक की लापरवाही के कारण किसी असामाजिक तत्व ने उपभोक्ता के खाते से रकम निकाल ली। उसे हुए नुकसान की भरपाई के लिए बैंक जिम्मेदार है। बैंक को इस रकम के अलावा 30 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व दस हजार रुपये वाद व्यय भी उपभोक्ता को देना होगा।