बैंक के उपभोक्ता बैंक की शिकायत कहां दर्ज करवाएं

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बैंकों कई बार अपने उपभोक्ताओं को तय किए गए मानकों के हिसाब से सुविधा उपलब्ध नहीं कराते हैं। कई बार उनके द्वारा सेवा में कमी अथवा अतिरिक्त या अनावश्यक शुल्क पर लगा दिया जाता है। ऐसे में उपभोक्ता कहां शिकायत दर्ज करवा सकते हैं यह जानकारी हम आपको दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि बैंकिंग प्रणाली मैं बैंक की कौन सी शिकायतें दर्ज करवाई जा सकती है – A – बैंक शाखा सेवा संबंधी: सेवा में विलम्‍ब/मनाही की शिकायत गलत या तय किये गए प्रभार से अधिक सेवा प्रभार (ब्‍याज सहित) बैंक स्‍टॉफ/डीएसए/बैंक मित्र द्वारा दुर्व्‍यवहार की शिकायत B – एटीएमस से संबंधित शिकायत: राशि नहीं निकलना किन्‍तु खाते में पैसे कट जाना एटीएम के माध्‍यम से निकाली गई धनराशि में भिन्‍नता C – अन्य शिकायतें असंतोषजनक शिकायत समाधान गलत या पूरे न किए गए वादे शिकायत की प्रक्रिया : सबसे पहले आप उस शाखा में जहां पर आपका खाता है जाकर अपनी शिकायत लिखित में दर्ज करवाएं यदि शाखा में शिकायत का समाधान नहीं होता है तो उपभोक्‍ता, बैंक के नोडल अधिकारी के पास जा सकता है। आरबीआई के नियम अनुसार नोडल अधिकारी का नाम, पता या अन्य विवरण शाखा में जरूर उपलब्‍ध होना चाहिए। एटीएम सेवाओं के संबंध में शिकायत – उपभोक्‍ता को लेनेदेन के विवरण सहित अपने असफल एटीएम लेनदेन की लिखित सूचना तत्‍काल ही दर्ज करानी चाहिए।

उपभोक्ता अदालत में शिकायत कैसे करें

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सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाकर ग्राहकों / उपभोक्ताओं को बेईमान व्यापारियों या विक्रेताओं से बचाने और ग्राहकों के मूल अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गयी है। इसी अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता विवादों को निपटाने के लिए एक तंत्र और विशेष रूप से उपभोक्ता संरक्षण मामलों के लिए उपभोक्ता न्यायालयों/ उपभोक्ता फोरम की स्थापना की गयी है। यह कानून उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रख कर बनाये गए हैं इसीलिए इसमें कोई जटिल कानूनी प्रक्रिया नहीं बनाई गयी है, बल्कि प्रक्रिया को सरल रखने का प्रयास किया गया है।

उपभोक्ताओं के अधिकार

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उपभोक्ता या ग्राहक कौन होता है ? ​​ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार उपभोक्ता का अर्थ है ‘ ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी उत्पाद या सेवा को स्वयं इस्तेमाल करने के लिए खरीदता है, उपभोक्ता कहलाता है।’ लेकिन अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई सेवा या उत्पाद इस परिभाषा में नहीं आते हैं। यानी यदि उत्पाद या सेवा अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई है, तो वह व्यक्ति उपभोक्ता की परिभाषा में इस अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित नहीं होगा।