होम लोन लेना अपने आप में एक लंबी प्रक्रिया है जिसके लिए बहुत सारे दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, अगर ये सभी दस्तावेज पहले से इकट्ठा कर लिए जाएं तो होम लोन के लिए आवेदन करना आसान है। अन्यथा, किसी एक दस्तावेज़ की कमी के कारण, संपत्ति पर पूरा ऋण अस्वीकार किया जा सकता है या इसमें अनावश्यक रूप से देरी हो सकती है।
इससे बचने के लिए जरूरी है कि हमें पता होना चाहिए कि हमें किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी.
Taking a home loan is a long process in itself which requires a lot of documents, if all these documents are gathered in advance then it is easy to apply for a home loan. Otherwise, due to the lack of any one document, the entire loan against property can be rejected or it can be unnecessarily delayed.
To avoid this, it is important that we should know which documents we would need.
लिव-इन संबंधों को संबोधित करने वाला कोई कानून नहीं है। इसीलिए लिव-इन संबंधों में कई बार हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग तरह के विरोधाभासी फैसले आते रहते हैं। क्योंकि यह उस केस के फैक्ट और मानव अधिकारों पर आधारित होते हैं।
लिव-इन (live-in) संबंधों की वैधानिकता लिव-इन रिलेशनशिप की वैधता भारत के संविधान के अनुच्छेद 21- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से जन्मी है।
“जीवन का अधिकार किसी व्यक्ति को हर तरह से जीवन जीने की स्वतंत्रता पर जोर देता है। इसी के अंतर्गत किसी व्यक्ति को अपनी रुचि के व्यक्ति के साथ शादी के साथ या उसके बिना रहने का अधिकार है।
जुलाई 2023 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दिए गए एक फैसले में दूसरी पत्नी द्वारा 498 A अंतर्गत की गई शिकायत को विचार योग्य नहीं माना। इस मामले में दूसरी पत्नी ने IPC की धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज की थी और निचले कोर्ट ने पति को सजा सुना दी थी। लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नीचे की कोर्ट के आदेश को पलटते हुए सजा को माफ कर दिया।
मध्य प्रदेश में संपत्ति खरीदने में कई कानूनी दस्तावेज शामिल होते हैं। इन सब की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है.
संपत्ति खरीदने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ यहां दिए गए हैं:
विक्रय विलेख (Sale Deed) यह प्राथमिक कानूनी दस्तावेज है जो विक्रेता से खरीदार को स्वामित्व के हस्तांतरण को स्थापित करता है। इसमें संपत्ति, खरीदार, विक्रेता और सहमत बिक्री मूल्य का विवरण शामिल है।
टाइटल डीड (Title Deed) यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्ति का स्पष्ट और विपणन योग्य टाइटल है, टाइटल डीड को सत्यापित करना आवश्यक है। शीर्षक विलेख संपत्ति के स्वामित्व इतिहास को स्थापित करता है।
प्लास्टिक मनी (plastic money) आजकल प्लास्टिक मनी (plastic money) का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है. प्लास्टिक मनी का अर्थ है ऐसा पैसा जो प्लास्टिक का बना है. जैसे
क्रेडिट कार्ड (Credit Card) डेबिट कार्ड/ ATM (Debit Card) प्रीपेड कार्ड (Prepaid Card) कॉरपोरेट कार्ड (Corporate Card) वित्तीय संस्थानों द्वारा पेमेंट के लिए जारी किए गए कार्ड (Other Cards) इन कार्ड्स में पेमेंट करने के लिए एक पासवर्ड की आवश्यकता होती है, यह पासवर्ड सुरक्षित होना बहुत जरूरी है.
धोखाधड़ी से बचने और अपने वित्त को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के लिए क्रेडिट कार्ड का सुरक्षित रूप से उपयोग करना आवश्यक है। क्रेडिट कार्ड का सुरक्षित रूप से उपयोग करने में आपकी सहायता के लिए यहां कुछ युक्तियां दी गई हैं:
एक मजबूत पासवर्ड/पिन चुनें अपने क्रेडिट कार्ड खातों के लिए एक मजबूत और यूनीक पासवर्ड या पिन चुनें। अपनी जन्मतिथि या सरल नंबरों की सीरीज जैसे 1234, 1111 या आसानी से अनुमान लगाने योग्य जानकारी का उपयोग करने से बचें।
आजकल एक नए तरीके का क्रेडिट कार्ड फ्रॉड आया है. इसमें साइबर अपराधी किसी भी बैंक या क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी का एग्जीक्यूटिव, कर्मचारी या प्रतिनिधि बनकर आपको कॉल या ईमेल भेजता है और आप से कहता है कि आपको नया क्रेडिट कार्ड जारी किया जा रहा है. वह कई तरह के नए लुभावने ऑफर और लालच भी देता है. आपको भरोसा दिलाने के लिए वह आपकी कुछ जानकारी जो उसने इंटरनेट से प्राप्त कर ली है वह भी आपको बताता है.
इंटरनेट पर मिली हर जानकारी सही नहीं होती. साइबर अपराधी आपसे आपके जीवन भर की गाढ़ी कमाई हगने के लिए रोज नए नए तरीके ढूंढ रहे हैं. इन्हीं में से एक तरीका है इंश्योरेंस कंपनी की फर्जी वेबसाइट बनाकर, आपको सस्ता इंश्योरेंस देने का लालच देकर आपको ठगना.
इंटरनेट पर इंश्योरेंस कंपनियों की असली वेबसाइट की हूबहू नकल करके फर्जी वेबसाइट बनाकर धोखाधड़ी हो रही है. साइबर अपराधी बहुत शातिर हो गए हैं.
आजकल इंटरनेट पर बैंकों की हूबहू नकल करके फर्जी वेबसाइट बनाकर धोखाधड़ी हो रही है. साइबर अपराधी बहुत शातिर हो गए हैं. उन्होंने कई सारे भारतीय बैंकों जैसी दिखने वाली वेबसाइट बनाकर इंटरनेट पर डाल दी है. लोग गलती से इन फर्जी वेबसाइट को अपनी समझकर उन पर अपनी सारी डिटेल्स डाल देते हैं और ट्रांजैक्शंस कर लेते हैं. जिससे साइबर अपराधी उनके पूरे बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं. और इस तरह लोग अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई चंद मिनटों में दवा बैठते हैं.