हिन्दू धर्म में तलाक की अवधारणा प्राचीन हिन्दू धर्म में विवाह सात जन्मों का बंधन माना गया था। इसलिए मूल रूप से हिंदू धर्म में तलाक का कोई कंसेप्ट नहीं है। हालांकि इस मान्यता के बावजूद भी कुछ मामलों में पति एवं पत्नी विवाह के बंधनों से मुक्त हो सकते थे। लेकिन फिर भी यह बहुत अधिक प्रचलन में नहीं था, और विवाह को समाप्त करना लगभग असंभव माना जाता था।
गर्भपात का अधिकार महिलाओं को गर्भपात का अधिकार प्रदान करते हुए उच्चतम न्यायलय का ऐतिहासिक फैसला तारीख 29 सितंबर, साल 2022, को आया है।
इस फैसले की अंतर्गत उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं के एक बहुत मौलिक अधिकार को कानूनी स्वीकृतिप्रदान कर दी है। इसके अंतर्गत अब अनमैरिड प्रेग्नेंट वुमन यानी बगैर शादी के प्रेग्नेंट हुई महिलाओं को भी अबॉर्शन का अधिकार है।
आइए इस ऐतिहासिक फैसले के विभिन्न कानूनीपहलुओं को आसान भाषा में समझते हैं।
सूचना का अधिकार एक पत्नी को पूरा अधिकार है कि वह अपने पति की आय सीधे अपने पति से पूछ सकती है। पति के द्वारा इंकार करने अथवा छिपाने पर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में आरटीआई के माध्यम पति की सैलरी की जानकारी प्राप्त कर सकती है।
अधिकांश यह उस स्थिति में होता है, जब पति और पत्नी के बीच तलाक का कोई मामला चल रहा हो या भरण पोषण से संबंधित कोई केस पेंडिंग है। ऐसी स्थिति में पत्नी के पास आरटीआई एक सशक्त माध्यम है अपने पति के आय पता करने के लिए, क्योंकि पति की आय के आधार पर ही भरण-पोषण अथवा तलाब से संबंधित कई मामलों या विवादों का निपटारा किया जा सकता है। भरण-पोषण कितना देना होगा इसकी राशि भी पति के आय के स्रोत पर ही निर्भर करती है।
What Is Child Rights ?
A right is as an agreement or contract established between the persons who hold a right (often referred to as the “rights-holders”) and the persons or institutions which then have obligations and responsibilities in relation to the realization of that right (often referred to as the “duty- bearers”.) Child rights are specialized human rights that apply to all human beings below the age of 18.
The concept of “Only Yes Means Yes” People all over the world are running campaigns on social media and newspapers ‘Only yes means yes’. This campaign is being run for awareness regarding consent of women in any sexual act. It has become a movement. In this, people are trying to convince the governments, courts and law makers of their respective countries that the silence of the victim in any crime should not be considered as her consent.