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बीमा पॉलिसी में नॉमिनी को मिलेगा क्लेम, पत्नी और बच्चों को भी हक नहीं, उपभोक्ता अदालत का फैसला

यदि किसी व्यक्ति ने अपनी जीवन बीमा की पॉलिसी में नॉमिनी के कॉलम में मां या किसी अन्य व्यक्ति का नाम दे दिया है तो उसका क्लेम मां या उसी व्यक्ति को ही मिलेगा। भले ही क्लेम पत्नी और बच्चों की तरफ से क्यों नहीं किया गया हो। जुलाई 2023 में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (National Consumer Dispute Redressal Commission) ने अपने एक फैसले में पत्नी एवं बच्चों को बीमा पॉलिसी क्लेम देने से इनकार कर दिया क्योंकि बीमा पॉलिसी में नॉमिनी की तौर पर मृतक की मां का नाम दर्ज था।

What is Deceptive Advertising, How to complaint online

What is Deceptive Advertising? A deceptive advertisement is one that makes false or misleading claims, or hides important information, in order to persuade consumers to buy a product or service. Deceptive advertising can be found in various forms of media, including television, radio, print and online. Advertisement and publicity made through television, radio or any other electronic medium, newspapers, banners, posters, handbills, wall writings, etc. and which misrepresents the nature, characteristics, qualities or geographical origin of any goods, services or commercial activity Information intended to mislead consumers is defined as misleading advertising.

भ्रामक विज्ञापन क्या होते हैं ? इनकी शिकायत कहाँ और कैसे करें ?

पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन देने पर उच्चतम न्यायलय की चेतावनी भारत के उच्चतम न्यायलय ने 21 नवंबर 2023 को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन पब्लिश करने को लेकर चेतावनी दी है। पतंजलि आयुर्वेद द्वारा जारी भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायलय के समक्ष एक याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा- पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।

चिकित्सीय लापरवाही या मेडिकल नेगलिजेंस क्या है

डॉक्टरों का कर्त्तव्य है कि वे अपने रोगियों की देखभाल उचित तरीके से करें। सभी चिकित्सकों, अस्पतालों, नर्सिग होम, या अन्य चिकित्सीय पेशेवरों से उम्मीद की जाती है कि वे “देखभाल के चिकित्सा मानक” के अनुरूप उपचार प्रदान करें। ऐसा न करना ही चिकित्सीय लापरवाही या मेडिकल नेगलिजेंस कहलाता है। मेडिकल नेगलिजेंस क्या है? जब किसी डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, नर्सिंग होम या अस्पताल द्वारा किसी मरीज के इलाज या देखभाल में लापरवाही बरती जाती है तब उसे मेडिकल नेगलिजेंस कहते हैं।