भोपाल में रोज़ हो रहा है औसतन एक तलाक भोपाल में तलाक लेने की दर बढ़ रही है। भोपाल में हर रोज लगभग एक तलाक हो रहा है। और एक साल में लगभग एक हजार से ज्यादा केस फ़ाइल हो रहे हैं। इसी के साथ लगभग 14 प्रतिशत की दर से नए मामलो में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी हो रही है।
एक संगठन के द्वारा भोपाल जिला न्यायालय से सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गयी जानकारी के अनुसार साल 2021 में जिला न्यायालय के समक्ष निम्न मामले लंबित थे –
अरबी शब्द है “तलाक” “तलाक” एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है – ” छोड़ देना” या फिर “त्याग देना”। विवाह के सन्दर्भ में इसका अर्थ लगाया जायेगा – “अपने पति या पत्नी को त्याग देना। ”
अब सवाल ये उठता है कि हिंदी में तलाक के लिए कौनसा शब्द होता है ? तो क्या इसका मतलब है कि भारतीय संस्कृति में तलाक नहीं होता था ? क्या प्राचीन भारत में हिन्दू धर्म में तलाक नहीं होता था ?
जुलाई 2023 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दिए गए एक फैसले में दूसरी पत्नी द्वारा 498 A अंतर्गत की गई शिकायत को विचार योग्य नहीं माना। इस मामले में दूसरी पत्नी ने IPC की धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज की थी और निचले कोर्ट ने पति को सजा सुना दी थी। लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नीचे की कोर्ट के आदेश को पलटते हुए सजा को माफ कर दिया।
INTRODUCTION “Penal law of India punishes the offence of what is known in English Law as ‘Bigamy’. Penal law of bigamy is not discriminatory since it makes no reference to the religion of either spouse.
HISTORICAL PERSPECTIVE IN INDIA Monogamous marriage has been the norm since Vedic times, with one exception: polygamy. However, the wife who was married first was the only wife in the sense of the word. According to one of Manu’s texts, it was permissible for a man to marry another woman after his first wife passed away.
समाज में तलाक (Divorce) लेने का प्रतिशत पहले के मुकाबले अधिक हो गया है। पति पत्नी पहले के मुकाबले ज्यादा जल्दी तलाक का निर्णय ले लेते हैं। सामान्य प्रक्रिया में तलाक लेने के लिए पति पत्नी एक दूसरे पर और उनके रिश्तेदारों पर कई प्रकार के आरोप लगाते हैं जैसे मारपीट, दहेज की मांग, उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना आदि। कभी आरोप सच्चे होते हैं और कभी-कभी झूठे होते हैं। पति और पत्नी आपस में या एक दूसरे के रिश्तेदारों पर भी तलाक के लिए गंभीर और झूठे आरोप लगा देते हैं। तलाक के लिए न्यायपालिका में इसी प्रकार के गलत तरीकों को कम करने के लिए ‘नो-फॉल्ट डिवोर्स’ को आवश्यकता एवं स्वीकार्यता बढ़ रही है। इसमें कोई भी एक पक्षकार, दूसरे पक्षकार पर कोई बिना कोई झूठे सच्चे आरोप लगाए तलाक प्राप्त कर सकेगा।
2023 के एक मामले में एक पति ने अपनी पत्नी को उसके प्रेमी के साथ सार्वजनिक स्थान पर हाथ पकड़कर घूमते हुए पकड़ लिया। पति ने उसका वीडियो बनाकर रिकॉर्ड कर लिया। उस वीडियो में पत्नी अपने प्रेमी के साथ हाथ पकड़कर मेट्रो स्टेशन पर घूम रही है।
इसके बाद पति ने आसपास के कुछ लोगों को इकट्ठा करके पत्नी को और उसके प्रेमी को अपमानित करते हुए वीडियो रिकॉर्ड कर लिया इस दौरान उसने अपनी पत्नी को गालियां दी और बेवफाई का आरोप लगाया इसके बाद उसकी पत्नी भी वही उससे बहस करने लगी इस दौरान आपस में धक्का-मुक्की और गाली गलौज हुई।
‘वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स‘ नामक संस्था ने विश्व में तलाक पर नए आंकड़े जारी किए हैं। नयी लिस्ट में कई देशों की तलाक दर पहले से बढ़ी है। पश्चिमी समाजों (अमेरिका और यूरोप) में पारंपरिक रूप से एशिया की तुलना में तलाक की दर अधिक है।
इसी लिस्ट में भारत में तलाक की दर 1 प्रतिशत बताई गई है। देशभर में तलाक के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। आइये इस सांकेतिक मानचित्र पर नज़र डालते हैं।
क्या है लिव इन संबंध (Live in Relationship) लिव इन, जिसे हिंदी में सहवास के रूप में भी जाना जाता है, लड़के और लड़की के बीच एक तरह का समझौता है, जिसमें यह जोड़ा शादी किए बिना एक साथ रहता है। यह एक पारस्परिक संबंध है, जिसमें दो लोग, आमतौर पर रोमांटिक या अंतरंग साझेदारी में, विवाह के कानूनी या औपचारिक दायित्व के बिना रिश्ते में एक साथ रहना और पारिवारिक जीवन का आनंद लेते हैं।
उत्तर प्रदेश के आगरा में एक युवक की 7 साल पहले यानी 27 जनवरी 2016 को शादी हुई थी। सुहागरात पर उसे पता चला कि पत्नी सम्बन्ध नहीं बना सकती है क्यूंकि वह किन्नर थी। उसने पत्नी का इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। जिसके बाद उस युवक ने कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन दिया । जून 2023 में न्यायलय ने पति को तलाक के लिए स्वीकृति दे दी है।
Presumption of death is one of the grounds for divorce as per the Hindu Marriage Act 1955. Section 13(1)(iv) of the Act states that any marriage solemnized, whether before or after the commencement of this Act, may, on a petition presented by either the husband or the wife, be dissolved by a decree of divorce on the ground that the other party has not been heard of as being alive for a period of seven years or more by those who would naturally have heard of him or her.