समाज में तलाक (Divorce) लेने का प्रतिशत पहले के मुकाबले अधिक हो गया है। पति पत्नी पहले के मुकाबले ज्यादा  जल्दी तलाक का निर्णय ले लेते हैं। सामान्य प्रक्रिया में तलाक लेने के लिए पति पत्नी एक दूसरे पर और उनके रिश्तेदारों पर कई प्रकार के आरोप लगाते हैं जैसे मारपीट, दहेज की मांग, उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना आदि। कभी आरोप सच्चे होते हैं और कभी-कभी झूठे होते हैं। पति और पत्नी आपस में या एक दूसरे के रिश्तेदारों पर भी तलाक के लिए गंभीर और झूठे आरोप लगा देते हैं। तलाक के लिए न्यायपालिका में इसी प्रकार के गलत तरीकों को कम करने के लिए  ‘नो-फॉल्ट डिवोर्स’ को आवश्यकता एवं स्वीकार्यता बढ़ रही है। इसमें कोई भी एक पक्षकार, दूसरे पक्षकार पर कोई बिना कोई झूठे सच्चे आरोप लगाए तलाक प्राप्त कर सकेगा।

तलाक (Divorce) की सामान्य प्रक्रिया

तलाक लेने के लिए पति या पत्नी को न्यायालय में आवेदन देना पड़ता है। न्यायालय उसे कारण पूछता है। और उन कारणों की जांच करता है। मामला गंभीर होने पर ही तलाक दिया जाता है। इसलिए तलाक लेने वाला पक्ष कार दूसरे पक्ष कार पर बहुत गंभीर अपराध के आरोप लगा देते हैं।

तलाक की ‘फॉल्ट थ्योरी’  (Fault theory of Divorce)

आमतौर पर तलाक ‘फॉल्ट थ्योरी’ पर आधारित होता है। जब तक कि एक पक्ष, दूसरे की गलतियां नहीं बताएगा, न्यायालय किसी पत्रकार को तलाक नहीं देगा। इस प्रक्रिया के कारण एक पक्ष कार दूसरे पक्ष कार पर गंभीर और झूठे आरोप लगा देते हैं झूठे सबूत इकट्ठा करते हैं झूठे गवाह तैयार करते हैं। इससे दोनों पक्षकारों, रिश्तेदारों की  और परिवारों की समाज में बहुत बेइज्जती होती है और उन्हें अपमानित महसूस करना पड़ता है।

नो-फॉल्ट डिवोर्स

लेकिन नो-फॉल्ट डिवोर्स में इन प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं रहती। इसमें पति या पत्नी किसी को भी ये साबित करने की जरूरत नहीं कि अन्य पक्षकार ने उसे धोखा दिया है, या फिर किसी तरह की शारीरिक यामानसिक प्रताड़ना दी है। उसका सिर्फ इतना कहना काफी है कि रिश्ता अब समाप्त चुका है, और अब इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।

‘नो फॉल्ट डिवोर्स (No Fault Divorce)’ की शुरुआत कहां हुई ?

सबसे पहले ‘नो फॉल्ट डिवोर्स (No Fault Divorce)’ की शुरुआत सोवियत संघ यानी रूस से शुरुआत हुई।  रशिया यानि पुराना सोवियत रूस में  ‘नो फॉल्ट डिवोर्स ’ को प्रारंभ हुए 100 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं।  पहले रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च ही शादी और तलाक (Divorce) को नियंत्रित करता था। उसका मानना था कि तलाक लेना ईश्वर के विरुद्ध जाना है.सिर्फ बहुत गंभीर हालातों में ही तलाक मिलता था, जैसे गंभीर मारपीट या धोखा देने के मामले।

1917 में रूस में बोल्शेविक क्रांति हुई। बोल्शेविक क्रांति के बाद विवाह को एक धार्मिक चीज मानने के  बजाय  कानूनी चीज माने जाने लगा। रूस में बनाए गए सरकारी विवाह पंजीयन कार्यालयों में जाकर पति पत्नी विवाह को तोड़ने के लिए आवेदन कर सकते थे।  विवाह पंजीयन कार्यालय दूसरे पक्ष कार को तुरंत नोटिस देता था और उस पर तुरंत फैसला कर देता था। किससे विवाह को समाप्त करके अलग होने का प्रचलन बढ़ गया और पति पत्नी को अनिवार्य रूप से साथ रहना अब अनिवार्य नहीं रह गया था। किस प्रकार के संबंध विच्छेद में किसी पत्रकार को दूसरे पत्रकार पर कोई आरोप लगाने का कोई अवसर नहीं मिलता था ना ही आवश्यकता रह जाती थी।

लेकिन रूस में स्टालिन ने सत्ता  प्राप्त करने के बाद तलाक के इस प्रकार को समाज एवं परिवार को तोड़ने वाला बताते हुए उसपर रोक लगा दी। अब यहां भी तलाक की प्रक्रिया अन्य देशों की तरह  ही है.

किन देशों में नो फॉल्ट डायवोर्स को मान्यता प्राप्त है

यूनाइटेड किंगडम के अलावा अमेरिका के ज्यादातर राज्य, चीन, माल्टा, स्वीडन, स्पेन और मैक्सिको में नो-फॉल्ट डायवोर्स  को मंजूरी मिली हुई है।

ब्रिटेन में ‘नो फॉल्ट डायवोर्स’

ब्रिटिश महिला टिनी ओवेन्स ने शादी के 40 साल बाद तलाक (Divorce) का आवेदन दिया। कोर्ट में उसने कहा कि पति उसके साथ न क्रूरता करते हैं, न धोखा दिया, लेकिन उसे तलाक (Divorce) चाहिए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट से भी उसका तलाक (Divorce) काआवेदन खारिज हो गया। इसके बाद इस महिला ने ब्रिटेन में एक कैंपेन चलाया, जिसमें कहा गया कि खुश न रहना भी रिश्ता खत्म होने की वजह हो सकता है। और यदि पति पत्नी खुश नहीं है तो उन्हें तलाक (Divorce) मिलना चाहिए।

इसके बाद साल 2022 में ब्रिटेन में ‘नो-फॉल्ट डिवोर्स’ कानून में आया। डिवोर्स, डिजॉल्यूशन एंड सेपरेशन एक्ट में ब्लेम गेम (Blame game) की कोई जगह नहीं। इसमें एक पक्षकार, या दोनों ही मिलकर तलाश के लिए आवेदन कर सकेंगे। दोनों पक्षकारों को को 20 हफ्तों का समय दिया जाता है, अगर वे इस दौरान आपस में समझोता, सुलह करना चाहें, तो कर सकते हैं। यदि कोई समझौता नहीं होता तो तलाक हो जाता है.