Consumer Rights

कंपनी ने भेजा फर्जी बिल, ग्राहक ने खुद केस लड़ के जीता, 97 हजार का मुआवजा मिला

बहुत से लोगों के पास कंपनी की तरफ से फर्जी या गलत बिल आते हैं, लेकिन अधिकतर लोग झंझट से बचने या अधिकारों की जानकारी के अभाव में उस चीज के पैसे दे देते हैं, जिस चीज की सुविधा उन्होंने ली ही नहीं। ऐसी सिचुएशन में लोगों को इन दोनों की तरह जागरुक रहने और अपने अधिकार को पहचानने की जरूरत है। फर्जी बिल के कुछ और मामले पढ़ें

भारत में उपभोक्ता को कितने और क्या अधिकार हैं

उपभोक्ता कौन होता है प्रतिदिन जब हम अपने इस्तेमाल के लिए कोई वस्तु खरीदते हैं तो हम उपभोक्ता बन जाते हैं। इसलिए हमें यह समझना आवश्यक है कि उपभोक्ता का क़ानूनी अर्थ है क्या उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार – उपभोक्ता वह व्यक्ति होता है जो किसी भी वस्तु या सेवा प्राप्त करने के बदले भुगतान करता है। उपभोक्ता का शोषण कैसे होता है अगर हम जागरूक न हों तो हम उपभोक्ता के रूप में शोषण का शिकार भी हो सकते हैं।

उपभोक्ताओं के अधिकार

उपभोक्ता या ग्राहक कौन होता है ? ​​ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार उपभोक्ता का अर्थ है ‘ ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी उत्पाद या सेवा को स्वयं इस्तेमाल करने के लिए खरीदता है, उपभोक्ता कहलाता है।’ लेकिन अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई सेवा या उत्पाद इस परिभाषा में नहीं आते हैं। यानी यदि उत्पाद या सेवा अपने व्यवसाय या व्यापार के लिए खरीदी गई है, तो वह व्यक्ति उपभोक्ता की परिभाषा में इस अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित नहीं होगा।