कैसे पता करें फोन में वायरस है – मोबाइल वायरस कई प्रकार के होते हैं, नए-नए प्रकार के वायरस रोज हमारे फोन और कंप्यूटर पर हमला करते रहते हैं। आजकल मोबाइल में वायरस का पता आसानी से नहीं लगाया जा सकता लेकिन फिर भी कुछ तरीके हैं जिन से पता चल सकता है कि आपके फोन में वायरस आ गया है।
वायरस आपकी सूचनाओं को हैकर तक भेजने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करेगा, इसका मतलब है कि अगर आपके फोन में वायरस आ गया है तो आपके मोबाइल में डेटा का यूज काफी बढ़ जाएगा। वायरस कई बैकग्राउंड में कई टास्क को रन करेगा और लगातार इंटरनेट से कम्युनिकेट करता रहेगा।
पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 के अनुसार तलाक के निम्न आधार हैं : धारा 30 के अनुसार यदि प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण विवाह संपन्न करना असंभव हो जाता है। धारा 31 के अनुसार यदि पति या पत्नी में से किसी ने पिछले सात वर्षों से किसी अन्य पति या पत्नी के बारे में नहीं सुना है, तो विवाह को खत्म किया जा सकता है। धारा 32 में तलाक के आधार दिए गए हैं: जब पति या पत्नी में से कोई एक शादी के एक साल के भीतर शादी से पूरी तरह इनकार कर देता है। जब किसी पति या पत्नी को सात साल से अधिक की कैद हो जाए और एक साल की कैद बीत चुकी हो, तो पति या पत्नी तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं। जब पति या पत्नी में से कोई भी 2 साल से अधिक समय से अलग हो गया हो या उसने अपना धर्म बदल लिया हो। यदि विवाह के समय पति या पत्नी से यह रहस्य रखा जाता है कि दूसरा पक्ष मानसिक रुप से अस्वस्थ है। दूसरा पति या पत्नी शादी की तारीख से तीन साल की अवधि के भीतर तलाक के लिए आवेदन कर सकता है। अगर शादी के समय महिला गर्भवती थी। लेकिन इसे शादी के दो साल की अवधि के भीतर लागू किया जाना चाहिए और साथ ही, जोड़े का वैवाहिक संबंध नहीं होना चाहिए। यदि विवाह के दो साल के भीतर पति या पत्नी में से किसी के साथ क्रूरता का व्यवहार किया जाता है और दोनों मे से कोई भी यौन रोग से पीड़ित है। धारा 32B के अनुसार जबरदस्ती और धोखाधड़ी से आपसी सहमति नहीं ली जा सकती है। पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 की धारा 19 और 20 में कहा गया है कि पारसी केवल पारसी के अधिकारियों की अध्यक्षता वाली विशेष अदालतों में तलाक की कार्यवाही शुरू कर सकता है और एक पंजीकृत (रजिस्टर्ड) कार्यालय में पंजीकरण करना भी आवश्यक है।
भारतीय तलाक अधिनियम की धारा 10A के अनुसार, ईसाई दो तरह से तलाक ले सकते हैं आपसी तलाक: पति-पत्नी दोनों अगर पिछले दो साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं तो वे जिला अदालत में तलाक के लिए अर्जी दे सकते हैं।
विवादित तलाक: इसे निम्नलिखित आधारों पर दायर किया जा सकता है-
पिछले 2 साल से मानसिक रूप से अस्वस्थ है व्यभिचार धर्मांतरण पिछले दो साल से त्याग दिया है क्रूरता किसी भी पति या पत्नी के सात साल या उससे अधिक समय तक जीवित रहने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 के अनुसार तलाक के आधार : मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 की धारा 2 के तहत महिला विवाह के विघटन के लिए एक डिक्री प्राप्त करने की हकदार तभी होती है, यदि-
सायरा बानो विरुद्ध भारत संघ व अन्य, 2017 इस मामले में अनुच्छेद 13 (1) के साथ पढ़े गए अनुच्छेद 14 के तहत तलाक-उल-बिअद्दत या तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया गया था। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि 1937 का अधिनियम उस सीमा तक शून्य है जहां तक वह तीन तलाक को मान्यता देता है और लागू करता है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, सरकार को तीन तलाक को अवैध और अपराधी बनाने के लिए एक कानून बनाना होगा।
हिन्दू धर्म में तलाक की अवधारणा प्राचीन हिन्दू धर्म में विवाह सात जन्मों का बंधन माना गया था। इसलिए मूल रूप से हिंदू धर्म में तलाक का कोई कंसेप्ट नहीं है। हालांकि इस मान्यता के बावजूद भी कुछ मामलों में पति एवं पत्नी विवाह के बंधनों से मुक्त हो सकते थे। लेकिन फिर भी यह बहुत अधिक प्रचलन में नहीं था, और विवाह को समाप्त करना लगभग असंभव माना जाता था।
नवंबर 2021 में जबलपुर की पुलिस ने पाया कि जबलपुर में हो रहे कई अपराधों में बड़े चाकू इस्तेमाल किया जा रहे हैं। जांच में पता चला कि यह बड़े चाकू ई-कॉमर्स वेबसाइटों से खरीदे जा रहे हैं। यह ई-कॉमर्स वेबसाइट है इन प्रतिबंधित चाकुओं को सीधे घर पर डिलीवरी कर रही है। पुलिस ने जबलपुर में इन ई-कॉमर्स वेबसाइटों से बड़े चाकू खरीदने और होम डिलीवरी करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
<div class="bbc-19j92fr ebmt73l0" dir="ltr"> <div class="bbc-19j92fr ebmt73l0" dir="ltr"> <p class="bbc-kl1u1v e17g058b0" dir="ltr"> मुसलमानों में तलाक़ ए बिद्दत यानी इंस्टेंट तलाक़ को ग़ैर क़ानूनी बनाने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) क़ानून 2019 बनाया गया है. </p> </div> <div class="bbc-19j92fr ebmt73l0" dir="ltr"> <p class="bbc-kl1u1v e17g058b0" dir="ltr"> इक़रा इंटरनेशनल वीमेन अलांयस नाम की संस्था में एक्टिविस्ट और मुसलमान महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम कर रही उज़्मा नाहिद का कहना है कि तलाक़ देने का हक़ पुरुष का होता है और ख़ुला लेने का अधिकार महिला का होता है। <span style="color: var(--dark-color); font-family: var(--primary-font); font-weight: var(--font-weight);"> मुसलमान महिलाओं को ख़ुला के तहत तलाक़ नहीं मिल रहा है या तलाक़ का ग़लत इस्तेमाल हो रहा है। </span><span style="color: var(--dark-color); font-family: var(--primary-font); font-weight: var(--font-weight);">केरल हाई कोर्ट में जो मामला आया है वो शरीयत के ख़िलाफ़ नहीं है और ये इस्लामिक शरिया को चुनौती नहीं देता है.
Secure your computer – Use antivirus software, keep the updated.
Always use Authentic softwares. never use Pirated softwares.
Strong Passwords – Use strong passwords with alphabet, numbers and special characters.
Avoide Public computers – Use ‘incognito mode’ – If needed, use ‘incognito or pritvate windoe mode’ while using others computer or networks.
Visit and transect on safe websites only – Browse safe websites only.
check “https://” in website URL.
Avoide imposter website.
कई साइबर एक्सपर्ट्स लोगों को दुकानों, पेट्रोल पंप और ऑनलाइन पेमेंट के लिए डेबिट कार्ड की जगह क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इसकी वजह यह है कि बैंक और क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनियां क्रेडिट कार्ड, नेटवर्क और सर्वर की सिक्योरिटी पर बहुत अधिक ध्यान देती हैं। इसकी दूसरी वजह यह है कि डेबिट कार्ड या बैंकिंग धोखाधड़ी में आपके रियल अकाउंट से रियल पैसे चले जाते हैं और काफी मुश्किल और समय लगने के बाद ही ये वापस मिल पाते हैं। दूसरी ओर, क्रेडिट कार्ड में यह जोखिम भी कम होता है क्योंकि अगर आप समय पर फ्रॉड की सूचना देते हैं तो बैंक या क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली कंपनी मामले की जांच करते हैं और मामला सही पाए जाने पर आपको कुछ भी भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी।