किसी बिल्डर से घर या फ्लैट खरीदना एक बड़ी लंबी और जटिल प्रक्रिया है जिसकी पूरी जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। और किसी बिल्डर से उसकी किसी प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ बहुत जरूरी चीजों को ध्यान में रखना होता है। साथ ही साथ संपत्ति खरीदने के लिए जो कानून और नियम है उनकी जानकारी होना भी एक आम आदमी के लिए बहुत आवश्यक है।

बिल्डर से घर खरीदने से पहले किन चीजों को ध्यान में रखना चाहिए

बिल्डर बैंक की प्री-अप्रूवल लिस्ट में है या नहीं

कोई बिल्डर विश्वसनीय है या नहीं यह किस बात से पता चल सकता है कि वह बैंकों की प्री अप्रूवल लिस्ट में शामिल है अथवा नहीं। यदि वह बिल्डर दो 3 या उससे अधिक बैंकों की प्री अप्रूवल लिस्ट में है तय माना जा सकता है कि वह भरोसेमंद है। इसी प्रकार बैंक उस बिल्डर के प्रोजेक्ट्स को भी पुरी अप्रूव्ड कर सकते हैं। इससे यह भरोसा हो सकता है कि बैंक ने इस प्रोजेक्ट से संबंधित सभी कानूनी छानबीन पहले ही पूरी कर ली है। बिल्डर की विश्वसनीयता करने के लिए यह एक अच्छा तरीका है।

बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट और डिलिवरी ट्रैक रिकॉर्ड

किसी भी प्रोजेक्ट में घर या फ्लैट खरीदने से पहले बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट को नजरअंदाज ना करें। किसी बिल्डर के आवासीय प्रोजेक्ट की क्वालिटी जांचने के लिए उसके पुराने प्रोजेक्ट को जाकर देखा जा सकता है।

बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट में इन सब बातों को देखा और जांचा जा सकता है –

  1. इसमें अच्छी गुणवत्ता वाली निर्माण साम्रगी इस्तेमाल की गई है अथवा नहीं।
  2. वहां पार्क या ओपन एरिया हैं या नहीं।
  3. अच्छी क्वालिटी के सामान का इस्तेमाल किया गया है अथवा नहीं।
  4. कम्युनिटी या सोसाइटी की बिल्डिंग है या नहीं।
  5. ड्रेनेज और सीवेज की क्या व्यवस्था की गई है।
  6. पानी और बिजली कि क्या व्यवस्थाएं की गई हैं।

वहां रह रहे लोगों से भी निम्न जानकारियां ली जा सकती हैं, जैसे –

  1. बिल्डर के साथ उन्हें कोई भुगतान संबंधित समस्या तो नहीं आई?
  2. बिल्डर ने अचानक कोई नया शुल्क तो नहीं लगाया जो पहले से तय नहीं था ?
  3. घर का पजेशन मिलने में उनके साथ कोई देरी तो नहीं हुई?
  4. पजेशन मिलने के बाद भी कोई अन्य समस्याएं तो नहीं आ रही?
  5. प्रोजेक्ट का रख रखाव कौन करता है ?
  6. कहीं बिल्डर पैसा लेने के बाद लापरवाही तो नहीं बरत रहा?

बिल्डर/कम्पनी की आर्थिक स्थिति

किसी भी प्रोजेक्ट को कंप्लीट करने में बिल्डर की आर्थिक स्थिति बहुत अधिक महत्व रखती है।  अगर बिल्डर एक पब्लिक कंपनी है तो संभव है उसकी वित्तीय जानकारी आप प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे कंपनी या ग्रुप जो शेयर मार्केट में लिस्टेड होती हैं, इसलिए उनकी बैलेंस शीट पब्लिक डोमेन में होती है। ऐसे ग्रुप की आर्थिक स्थिति आसानी से जांची जा सकती है।  लेकिन यदि वह एक प्राइवेट कंपनी है तब आपको उसकी वित्तीय स्थिति पता करने में समस्या होगी।  उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए थोड़ी जांच-पड़ताल करनी पड़ सकती है। इसमें ब्रोकर या एडवोकेट की मदद ली जा सकती है।

फ़्लैट/घर का एरिया

जो एरिया बिल्डर द्वारा बताया गया है वह सुपर बिल्ट अप एरिया है। आमतौर पर, एक फ़्लैट के मामले में फ्लैट का एरिया या सुपर बिल्ट-अप एरिया का अर्थ वह संपूर्ण एरिया होता है जिसमें लिफ्ट स्थान, सीढ़ियां, दीवारों की मोटाई और अन्य चीजें शामिल हैं। जबकि, कारपेट एरिया फ्लैट की दीवारों के भीतर का वास्तविक एरिया होता है। यह निर्मित क्षेत्र या संपत्ति की कीमत की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र से 30 प्रतिशत कम हो सकता है। कुछ मामलों में, जब एक मंजिल या मकान दो लोगोंके बीच साझा की जाती है, तो कॉमन एरिया की कीमत दोनों के बीच साझा की जाती है।

जमीन का मालिकाना हक (Ownership)

आमतौर पर बिल्डर भूमि स्वयं खरीद कर ही घर या बिल्डिंग्स बनाते हैं लेकिन हर बार यह जरूरी नहीं होता कई बार भूमि के मालिक कुछ सीमित अधिकारों में बिल्डर को प्रोजेक्ट बनाने के लिए अनुमति दे देता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी आगे जाकर विवाद भी उत्पन्न हो सकता है। जिससे घर या फ्लैट खरीदने वाला खरीदार भी प्रभावित हो सकता है।  इस स्थिति से बचने के लिए प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी अनुमतियों की जांच करते समय जमीन की टाइटल सर्च भी करा लेने चाहिए। इसके लिए किसी वकील की मदद ली जा सकती है।

घर खरीदने से पहले, टाइटल डीड को सत्यापित और विस्तार से जांचना चाहिए। टाइटल डीड से बिल्डर के संपत्ति के प्रति अधिकारों, स्वामित्व और दायित्वों पर सभी जानकारियां मिल जाती हैं, भूमि उसने स्वयं खरीदी है या नहीं या उसका पूर्ण अधिकार है या नहीं।

टाइटल डीड या लैंड रिकॉर्ड सर्च करवाने के लिए नीचे दिए गए फॉर्म को भरें –

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