वसीयत से जुड़ी भ्रांतियां और उनके समाधान
वसीयत से जुडी भ्रांतिया और उनके समाधान
वसीयत के बारे में कुछऐसी भ्रांतियां और उनकी सच्चाई जो आपको जानना जरूरी है
वसीयत एक बहुत महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति अपने परिवार, प्रियजन और स्नेही जनों के बीच बांट सकता है, ताकि उसकी मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति के बारे में कोई प्रश्न अथवा वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो।
हालांकि समाज में वसीयत के बारे में बहुत सारी भ्रांतियां हैं। और जानकारी के अभाव में व्यक्ति समय रहते वसीयत और अपनी संपत्ति का प्रबंधन नहीं कर पाता।
उनमें से कुछ भ्रांतियां यहां दी गई हैं , और साथ ही उनका समाधान भी प्रदान किया गया है।
भ्रान्ति 1 - वसीयत मरने के पहले अथवा बुढ़ापे में ही की जाती है
सच्चाई - आज के अनिश्चित समय में जितनी जल्दी वसीयत तैयार करवा लें उतना अच्छा है। ताकि किसी अप्रिय घटना या दुर्घटना होने की स्थिति में आपकी संपत्ति आपके वास्तविक उत्तराधिकारियों को ही प्राप्त हो।
भ्रान्ति 2 - वसीयत की आवश्यकता नहीं है। मेरे परिवार और रिश्तेदारों को मेरी सारी इच्छाओं के बारे में पता है।
सच्चाई - व्यक्ति की मृत्यु की पश्चात उसकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर कई विवाद उत्पन्न होना स्वाभाविक है। और इन्हीं विवादों से बचने के लिए आपको वसीयत की आवश्यकता होती है।
भ्रान्ति 3- वसीयत सादे कागज़ पर लिखकर, साइन कर दी गई है तो वह पर्याप्त है।
सच्चाई - सिर्फ एक सादे कागज पर वसीयत लिखकर, उस पर अपने हस्ताक्षर कर देना ही
पर्याप्त नहीं होता है और न ही वह पूर्ण रूप से एक कानूनी वसीयत कहलाएगी।
इसके लिए कुछ अनिवार्य शर्तें कानून में दी गई है ।
भ्रान्ति 4 - वसीयत एक बार लिखने के पश्चात संशोधित नहीं की जा सकती है ?
सच्चाई - एक व्यक्ति अपने जीवन काल में कितनी भी बार वसीयत को बदल सकता है अथवा पूरी तरह से रद्द भी कर सकता है
भ्रान्ति 5 - मेरी मृत्यु के पश्चात मेरी पत्नी अथवा पति एवं बच्चों को स्वाभाविक रूप से मेरी संपत्ति प्राप्त हो जाएगी
सच्चाई - अगर आपके द्वारा वसीयत नहीं की गई है तो आपकी संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार के नियमों के अनुरूप ही किया जाएगा इसमें आपके परिवार के निकटतम रिश्तेदार जिसमें आपके पति अथवा पत्नी, बच्चे, माता-पिता एवं अन्य रिश्तेदार भी शामिल हैं,उन्हें भारतीय उत्तराधिकार अधिनियमों के अनुरूप ही संपत्ति में उनका हिस्सा प्राप्त होगा
भ्रान्ति 6 - एक बार वसीयत का पंजीयन करवा लिया तो उसे वसीयत को कोई कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकता
सच्चाई - वसीयत करवाने के पश्चात उसका रजिस्टर कार्यालय में पंजीयन करवा लिया है तो भी आपकी वसीयत को न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।
भ्रान्ति 7 - सभी प्रकार की संपत्ति की वसीयत की जा सकती है
सच्चाई - कुछ संपत्तियां ऐसी भी हैं जिनको वसीयत के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता
एक व्यक्ति सिर्फ उस संपत्ति को वसीयत के माध्यम से निष्पादित कर सकता है जो उसकी स्वयं की संपत्ति हो।
1 जैसे कि को ओनर की संपत्ति 2 पीएफ, इंश्योरेंस और बैंक एफडी
3 किसी ट्रस्ट अर्थात न्यास की संपत्तियों को भी वसीयत के माध्यम से हस्तांतरित नहीं किया जा सकता