वसीयत पंजीयन के बाद कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं
क्या वसीयत का पंजीयन करवा लिया तो उस वसीयत को कोई कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकता ?
आपको यह जानना बहुत आवश्यक है कि यदि एक बार वसीयत करवाने के पश्चात अपने उसका रजिस्टर कार्यालय मंव पंजीयन करवा लिया है तो भी आपकी वसीयत को न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है और अथवा विवाद उत्पन्न हो सकता है। हालांकि उसके लिए बहुत कम ही कारण न्यायालय के समक्ष रखे जा सकते हैं। जिनमें प्रमुख है - वसीयतकर्ता वसीयत बनाते समय स्वस्थ चित्त नहीं था। इसका अर्थ यह है कि जब वसीयतकर्ता के द्वारा वसीयत का निष्पादन किया जा रहा था, तब वह पागल अथवा उन्मुक्त अथवा किसी और प्रकार से मानसिक रोग से ग्रसित था, जिसके कारण वह अपनी वसीयत स्वतंत्र रूप से लिखने में सक्षम नहीं था।
दूसरा कारण यह है कि वसीयतकर्ता वसीयत करते समय स्वतंत्र रूप से अपने वसीयत करने में असक्षम था, क्योंकि उस पर किसी अन्य व्यक्ति का अनैतिक प्रभाव था या फिर उसे किसी प्रकार का डरा धमका कर या धोखाधड़ी से या वसीयत लिखवाई गई है। इसका अर्थ आपकी वसीयत को चुनौती देने वाला व्यक्ति यह कह सकता है कि जब वसीयत लिखवाई गई तब वसीयतकर्ता को डराया धमकाया गया था अथवा उसे धोखा देकर यह वसीयत लिखवाई गई है।
अब इन प्रश्नों का निर्णय करना न्यायालय का दायित्व होगा कि क्या वसीयत करता अपनी वसीयत करते समय स्वस्थ्य चित्त था और क्या किसी अन्य व्यक्ति या धोखे के प्रभाव में था।
आपकी वसीयत को न्यायालय के समक्ष चुनौती देने का एक और कारण यह भी हो सकता है कि आपकी वसीयत में कोई लीगल फॉर्मेलिटी यानी कानूनी अनिवार्यता का पालन न किया गया हो। जैसे कि सक्षम गवाहों के समक्ष वसीयत का निष्पादन किया जाना या इसी प्रकार की कोई और कानूनी बाध्यता का पालन न किया गया हो।
इसलिए आवश्यक है कि वसीयत को किसी अधिवक्ता /वकील के माध्यम से तैयार करवाएं।