फिक्स्ड डिपोसिट (Fixed Deposit) से मिलने वाले ब्याज पर भी लगता है टैक्स
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FD के ब्याज पर टैक्स से संबंधित जरूरी नियम
- FD से मिलने वाले ब्याज को ”इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ यानी अन्य स्रोतों से आय में जोड़ा जाता है। इसलिए इसे “टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS)” के तहत चार्ज किया जाता है। बैंक या एफडी करने वाली संस्था अर्जित ब्याज पर स्रोत पर कटौती (TDS) काट कर रकम अदा करती है। जब आपका बैंक आपकी ब्याज आय को आपके अकाउंट में जमा करता है, तो उसी समय बैंक द्वारा TDS भी काट लिया जाता है।
- मान लीजिए आपने एक साल के लिए FD में निवेश किया, तो इस अंतराल में आपने जो ब्याज कमाया उसे आपकी वार्षिक आय में जोड़ा जाएगा। आपकी पूरे वर्ष की कुल आय के आधार पर, आपका इनकम टैक्स स्लैब निर्धारित किया जाता है। यदि आपकी कुल आय एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से कम है, तो बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर TDS नहीं काटता है। हालांकि, इसके लिए आपको फॉर्म 15G या 15H जमा करना पड़ेगा।
- 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए यदि FD से प्राप्त ब्याज एक वर्ष में 40,000 रुपए से कम है, तो TDS नहीं काटा जाता है। वहीं अगर FD से प्राप्त ब्याज 40,000 रुपए से अधिक है तो 10% TDS काटा जाएगा।
- 60 साल से ज्यादा उम्र, यानी सीनियर सिटीजन की FD से 50 हजार रुपए तक की आय टैक्स फ्री होती है। इससे ज्यादा आय होने पर 10% TDS काटा जाता है।
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