भारत की स्वतंत्रता के समय शासन प्रणाली के रूप में लोकतंत्र का प्रयोग नया न होते हुए भी अनूठा थाजहां स्वंत्रता के पूर्व एक गैर जिम्मेदारअलोकतांत्रिकअपारदर्शी सरकार से सत्ता भारतियों को हस्तांतरित की गयी। हालाकि स्वंत्रता के पश्चात लगभग सभी सरकारों ने आम जनता के प्रति जवाबदेह रवैया अपनाया हैऔर इसी लिए कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश सरकारें और अन्य शासकीय संस्थाएं शासन के उच्चतम आदर्शों का पालन करने का प्रयास करती आई हैं। इसी का परिणाम है कि हमारे पडोसी राष्ट्रों के विपरीत भारतीय जनता ने भी लोकतंत्र में अपना भरोसा बनाये रखा है। इसी जवाबदेही और प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए सरकारों ने समय समय पर कई कानून पारित किये हैं। इन में सब से महत्वपूर्ण है सूचना का अधिकार।

            यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत के लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम की भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। सूचना का अधिकार अधिनियम भारतीय संसद ने 12 मई 2005 को पारित किया जिसे 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली। और यह 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। इस अधिनियम के लागू होने के पश्चात् भारत में सरकारों की कार्य प्रणाली एवं सरकार के खर्चे करने के तरीकों में पारदर्शिता आयी। यह कानून लागू होने के बाद से अब तक अनेक लोगों ने इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार के दफ्तरों में आवेदन लगा कर कई महत्वूर्ण जानकारियां प्राप्त की एवं जनता के समक्ष रखीं।

            इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति किसी भी शासकीय कार्यालयसंस्था अथवा शासकीय वित्त से पोषित किसी संगठन से नाम मात्र के शुल्क में सभी आवश्यक जानकारियां प्राप्त कर सकता है।

            सूचना के अधिकार को इस्तेमाल करने के लिए इस अधिनियम की धारा के अंतर्गत सादे कागज़ पर एक आवेदन लोक सूचना अधिकारी को देना होगा।इस अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्रदान करने के लिए सभी सम्बंधित विभागों में एक लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी को नियुक्त किया गया है।

            इस आवेदन के साथ शुल्क के रूप में मात्र ₹10 के स्टांप अथवा पोस्टल आर्डर या फिर बैंक चालान या फिर नकद लोक सूचना अधिकारी के पास जमा करवाना होता है। अगर कोई व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है और उसके पास गरीबी रेखा के नीचे का कार्ड है जो कि नगर निगम द्वारा या फिर पंचायत द्वारा जारी किया गया हैतो उस व्यक्ति को कोई शुल्क नहीं देना होगा।

            इस आवेदन में जो सूचना आपको चाहिए उस का पूर्ण विवरण स्पष्ट रूप से लिखना पड़ता हैताकि सम्बंधित अधिकारी को सूचना देने में आसानी हो। जो आवेदन आप सूचना अधिकारी को लिखेंगे उसमें आपको कौन सी जानकारी चाहिए एवं किस रूप में जानकारी चाहिए यह बताना आवश्यक है। साथ ही आपका संपर्क एवं पत्र व्यवहार का पूरा एवं सही पता भी नीचे लिखना होगा। अगर कोई व्यक्ति आवेदन लिखने में असमर्थ हैं तो लोक सूचना अधिकारी आवेदन लिखने में सहायता भी प्रदान करेगा।

            सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्त होने पर यह जांच की जाती है कि कहीं मांगी गयी जानकारी अधिनियम के अपवादों के अंतर्गत तो नहीं आ रही है। अर्थात नियमो के तहत आपको जानकारी दी भी जा सकती है या नहीं। यदि सूचना संरक्षित श्रेणी के अपवादों में आती है तो अधिकारी सूचना देने से इंकार कर देगा और कारण बताते हुए इस सन्दर्भ में उचित माध्यम से आपको सूचित करेगा।

            आवेदन से संतुष्ट होने पर वह अधिकारी यह देखता है की क्या वंचित जानकारी प्रदान करने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क लिया जाना चाहिए अथवा नहीं। यह अतिरिक्त शुल्क भी अधिनियम के द्वारा ही पहले से निर्धारित है। सूचना को उसी रूप में प्रदान किया जाता है जिस रूप में आप ने आवेदन में मांगा है। आप किसी दस्तावेज की सत्यापित प्रति (सर्टिफाइड कॉपीमांग सकते हैं या फिर आप सूचना सीडी के रूप में मांग सकते हैं या फिर आप मॉडल के रूप में मांग सकते हैं या फिर किसी अन्य रूप में मांग सकते हैं।

            कोई दस्तावेज अगर A4 साइज अथवा A3 साइज में है तो उस की सत्यापित प्रति (सर्टिफाइड कॉपीप्राप्त करने के लिए आपको ₹प्रति पेज का शुल्क देना होगा । और अगर वह किसी और पेपर साइज में है तो आपको उसके जो वास्तविक मूल्य होता है वह चुकाना पड़ता है। अगर सूचना सीडी के रूप में प्राप्त की जानी है तो आपको ₹50

            शुल्क देना होगा। शुल्क तय करने का अधिकार पूर्ण रूप से लोक सूचना अधिकारी को दिया गया है अगर आपको शुल्क ज्यादा लगता है तो आप अपीलीय अधिकारी के पास आवेदन कर सकते हैं। अतिरिक्त शुल्क को भी स्टाम्प पेपर के माध्यम सेइंडियन पोस्टल आर्डर के माध्यम से या फिर बैंक चालन के माध्यम से अथवा नकद जमा करा सकते हैं।

            सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी के माध्यम से सूचना 30 दिन के अंदर प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। किन्तु यदि आपको 30 दिन में जानकारी प्रदान नहीं की जाती है तो आप अपीलीय अधिकारी को आवेदन कर सकते हैं। सूचना देने में अनावश्यक देरी अथवा गलत जानकारी देने पर लोक सूचना अधिकारी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अगर मांगी गयी सूचना जीवन से या फिर सुरक्षा से संबंधित है तो 48 घंटे के अंदर आपको सूचना प्रदान की जाएगी ऐसा प्रावधान अधिनियम में किया गया है।

            कई विभागों में ऑनलाइन रूप से सूचना प्राप्त करने की व्यवस्था की गई है। सूचना हेतु आवेदन डाक (पोस्टके रूप में भी किया जा सकता है। इसके लिए आपको आवेदन के साथ ₹10 का शुल्क अदा करने के लिए स्टाम्प पेपर या फिर इंडियन पोस्टल आर्डर या फिर बैंक चालान आवेदन के साथ संलग्न कर सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी को भेजना होगा।

            अगर लोक सेवा अधिकारी या फिर अपीलीय अधिकारी जानकारी नहीं देते हैं तो आप राज्य सूचना आयोग में आवेदन कर सकते हैं। अगर आप को वहां पर भी सूचना प्रदान नहीं की जाती है अथवा आदेश से संतुष्ट नहीं हैं तो आप राष्ट्रीय सूचना आयोग में आवेदन कर सकते हैं। अगर आपको वहां पर भी सूचना प्रदान नहीं की जाती है तो उच्चतम न्यायालय तक में आवेदन करने का प्रावधान इस अधिनियम में किया गया है।

            सूचना का अधिकार अधिनियम सूचना प्राप्त करने के लिए सिर्फ भारत के नागरिक को अधिकार प्रदान करता है। यह अधिकार गैर नागरिकों को प्राप्त नहीं है क्योंकि यह अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (के अंतर्गत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता हैजो कि सिर्फ भारत के नागरिकों को प्राप्त है।

Author :

Ankit Upadhyay

Student of Final year,

Department of Legal Studies and Research,

Barkatullah University, Bhopal (M.P.)

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