आर्य समाज में विवाह और प्रमाण पत्र की मान्यता है या नहीं

Page content

आर्य समाज का परिचय

आर्य समाज की नींव 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने रखी थी। वे एक महान धर्म सुधारक व विचारक थे। इस संस्था का जन्म हिंदू धर्म में पैदा हो गयी कुरीतियों के कारण हुआ था। आर्य समाज की स्थापना भारत में मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, कर्मकाण्ड व अन्धविश्वास के विरोध हेतु हुई।

जातिवाद की कुरिति को मिटाने के लिए ही आर्य समाज में सभी जातियों के बीच विवाह संपन्न करवाया जाता है। इस विवाह का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।  इस प्रमाण पत्र की वैधता को लेकर कई बार प्रश्न चिन्ह भी उठते रहते हैं।

आर्य समाज के विवाह प्रमाण पत्र पर न्यायलय के निर्णय

भारत के उच्चतम न्यायलय ने जून 2022 में एक केस में आर्य समाज के विवाह प्रमाण पत्र ( Marriage Certificate issued by Arya Samaj) को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि “आर्य समाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नहीं है। ”

एक और मामले में जून 2022 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है ,और दोनों ने एक आर्य समाज मंदिर में शादी की है। उनके पास दस्तावेज के तौर पर इसका एक विवाह प्रमाण पत्र भी है। लड़की की शिकायत के बाद न्यायलय ने आर्य समाज के विवाह प्रमाण पत्र को विवाह संपन्न होने के सबूत के तौर स्वीकार नहीं किया।

आर्य समाज में प्रेम विवाह

आर्य समाज और हिन्दू विवाह के लगभग एक  जैसे ही हैं।  इसमें भी अग्नि के फेरे लिए जाते हैं, और हिन्दू विवाह जैसी ही रस्मे निभाई जाती हैं। आर्य समाज को हिंदू धर्म का ही एक अंग माना जाता है। इसीलिए आर्य समाज में कोई भी हिंदू व्यक्ति हिन्दू धर्म के किसी भी जाति के व्यक्ति से विवाह कर सकता है, लेकिन आर्य समाज में मुस्लिम, ईसाई, पारसी और यहूदी शादी नहीं कर सकते हैं।  विवाह हेतु कुछ शर्तें पूरी करना आवश्यक है।

आर्य समाज में विवाह हेतु आवश्यक कानूनी शर्तें

  1. विवाह के समय दोनों में से किसी एक पक्षकार का कोई पूर्व पति या पत्नी जीवित नहीं होना चाहिए।
  2. लड़का या लड़की में से कोई भी दिमागी विकृति के कारण वैद्य सहमति देने के अयोग्य न हो
  3. लड़का या लड़की में से कोई भी किसी मानसिक अव्यवस्था से इस प्रकार पीड़ित न हो कि वह विवाह और संतान पैदा करने के योग्य न रह गया हो।
  4. पागलपन अथवा मिर्गी के दौरे से बार-बार पीड़ित ना रहता  हो।
  5. लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी आवश्यक है।
  6. लड़का व लड़की दोनों आपस में हिन्दू विवाह अधिनियम में बताये गए ‘प्रतिसिद्ध संबंध’ की परिभाषा में न आते हों।
  7. लड़का व लड़की दोनों आपस में हिन्दू विवाह अधिनियम में बताये गए ‘सपिण्ड’ न हों।

प्रक्रिया :

  1. आर्य समाज में शादी करने के लिए भी पहले एक रजिस्ट्रेशन होता है और ये आर्य समाज मंदिर में होता है।
  2. फिर में लड़का और लड़की के दस्तावेजों की जांच होती है।
  3. यदि विवाह हेतु सभी क़ानूनी शर्तें पूरी होती हैं तो वरमाला और अग्नि के फेरे और बाकी की रस्म होती है, जिसके बाद विवाह संपन्न माना जाता है।
  4.  आर्य समाज मंदिर या संस्था द्वारा इस विवाह का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
  5. यह प्रमाण पत्र मिलने के बाद शादी को कानूनों के तहत विवाह पंजीयक के कार्यालय में रजिस्टर्ड करवाना होता है।

 

आर्य समाज में विवाह की क़ानूनी वैधता और मान्यता

  1. आर्य समाज की शादी को आर्य समाज वैलिडेशन एक्ट, 1937 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अंतर्गत मान्यता दी जाती है।
  2. इसके लिए व्यक्तियों का हिंदू या बौद्ध, जैन, सिख होना आवश्यक है।
  3. यदि विवाह  करने वाले दोनों हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख हैं तो हिन्दू विवाह अधिनियम (हिंदू मैरिज एक्ट 1955) के तहत मान्यता दी जाती है।
  4. यदि विवाह  करने वाले दोनोंअलग अलग धर्म के हैं तो विशेष विवाह अधिनियम (स्पेशल मैरिज एक्ट) के तहत मान्यता दी जाती है।

अप्रैल 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक मामले में यह भी कहा है कि आर्य समाज के माध्यम से होने वाले विवाह का विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। लेकिन फिर भी इस पर हिन्दू विवाह जैसे ही प्रावधान लागू होंगे, इसलिए विवाह के प्रमाण के रूप में विवाह का पंजीयन जिले के विवाह पंजीयक के पास करवाना चाहिए।

क्या पंजीयन के बिना आर्य समाज में किया गया विवाह अमान्य है ?

नहीं, अगर विवाह आर्य समाज में किया गया है और आर्य समाज की संस्था का वैध प्रमाण पत्र आपके पास है तो आपका विवाह वैध ही माना जायेगा। सिर्फ विवाह को न्यायलय में साबित करने के लिए आपको इसका पंजीयन करवाना होगा।

आर्य समाज संस्था द्वारा जारी किये गए विवाह प्रमाण की मान्यता

आर्य समाज की संस्था का विवाह प्रमाण पत्र किसी विवाह का आधिकारिक प्रमाण नहीं है।  क्यूंकि सरकार ने आर्य समाज को विवाह के प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं दिया है।  यह अधिकार सिर्फ विवाह पंजीयक यानी Marriage Registrar को ही होता है। और इसीलिए सिर्फ और सिर्फ विवाह पँजियक का प्रमाण पत्र ही न्यायलय में मान्य होता है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें –