क्या नौकरी या अन्य कार्यस्थल पर महिलाओं को ख़ास ड्रेस कोड पहनने पर मजबूर करना अनुचित या भेदभावपूर्ण है ?

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आज के बदलते आधुनिक ऑफिस कल्चर में, ड्रेस कोड पर बहस बहुत तीव्र हो गयी है। ये ऑफिस की गरिमा और सामुदायिकता और अलग पहचान के लिए आवश्यक मानी जाती है। साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि कर्मचारियों का पहनावा कार्यस्थल की गरिमा के अनुरूप हो।
हालांकि, यह हमेशा से विवाद का विषय रहा है कि क्या महिलाओं को किसी ख़ास ड्रेस पहनने के निर्देश देना कहीं कार्यस्थल पर भेदभाव की श्रेणी में आएगा या नहीं। क्या ऐसी नीतियाँ वास्तव में भेदभाव मानी जा सकती हैं।

कार्यस्थल ड्रेस कोड का अर्थ क्या है

औपचारिक ड्रेस कोड जैसे कि कानून, वित्त या हॉस्पिटैलिटी जैसे पेशों में, जहाँ कर्मचारियों से सूट, टाई, ड्रेस या औपचारिक व्यवसायिक पोशाक पहनने की अपेक्षा होती है।

ऑफिस में ड्रेस कोड सामान्यतः पेशेवर यानी प्रोफेशनल छवि बनाए रखने के लिए बनाए जाते हैं। अगर ड्रेस कोड सम्बन्धी निर्देश या नीतियाँ अस्पष्ट भाषा में लिखी गयी हैं, तो उनके लागू होने में असमानता या भेदभाव के सवाल खड़े हो सकते हैं।

कार्यस्थल या कम्पनियां अथवा ऑफिस महिलाओं के लिए कई प्रकार की अपेक्षाएँ रख सकते हैं, जैसे महिलाओं के लिए स्कर्ट, ड्रेस, हाई हील्स और मेकअप पहनने की अपेक्षा हो सकती है अथवा ऐसे पाश्चात्य परिधानों को प्रतिबंधित कर सकती हैं।
जबकि पुरुषों के लिए आमतौर पर सूट, टाई और ड्रेस शूज़ की अपेक्षा होती है, लेकिन उनके लिए नियम अधिकतर औपचारिकता पर केंद्रित होते हैं, न कि सुंदरता पर। इससे एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि क्या ये ड्रेस कोड भेदभावपूर्ण हैं?

यदि ड्रेस कोड पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग और असमान रूप से लागू होते हैं, तो यह लिंग आधारित भेदभाव हो सकता है। इसमें जो बातें ध्यान रखी जानी चाहिए उनमें प्रमुख हैं कि क्या ड्रेस कोड नीति व्यापार या व्यवसाय के लिए आवश्यक है? और क्या यह महिला या पुरुष दोनों पर समान रूप से लागू होती है?

हालांकि यह माना जाता है कि ड्रेस कोड अक्सर महिलाओं को अधिक प्रभावित करते हैं और उन पर अधिक लागू किये जाते हैं।


महिलाओं को कठिनाइयाँ

इस अनुचित ड्रेस कोड से महिलाओं को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे :

  • स्वास्थ्य
    जैसे यदि महिलाओं को हाई हील्स पहनने के लिए बाध्य किया जाए, जिससे पीठ दर्द, पैर दर्द, फफोले हो सकते हैं।

  • महिलाओं से अधिक अपेक्षा करना
    आम तौर पर पुरुषों को सिर्फ सूट और जूते पहनने की अपेक्षा होती है, जबकि महिलाओं से ड्रेस, मेकअप, हेयरस्टाइल, पारम्परिक वस्त्र और गहनों जैसी अतिरिक्त चीजों की अपेक्षा की जाती है।

  • आर्थिक बोझ
    महिलाओं को विशेष ड्रेस, जूते और सौंदर्य उत्पाद खरीदने में अधिक खर्च करना पड़ता है, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ती है।


भेदभावपूर्ण कब

जब ड्रेस कोड में लिंग आधारित असमान अपेक्षाएँ होती हैं, विशेष रूप से महिलाओं पर अधिक भार डाला जाता है, तो यह भेदभावपूर्ण हो सकते हैं।
ऐसी नीतियाँ कानूनी चुनौती का कारण बन सकती हैं, खासकर जब वे असुविधा, आर्थिक बोझ या स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करती हैं।

नियोक्ताओं को चाहिए कि वे समानता, समावेशिता और पेशेवरता को बढ़ावा देने के लिए लैंगिक-तटस्थ, स्वास्थ्य-केन्द्रित, और लचीली ड्रेस कोड नीतियाँ अपनाएँ।


भेदभाव के समाधान क्या हो सकते हैं?

  • नीति
    ड्रेस कोड सम्बन्धी स्पष्ट नीति बनाई जाये। ड्रेस कोड स्पष्ट और सभी के लिए समान रूप से लागू होने चाहिए।

  • स्वास्थ्य
    कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाये। जैसे हाई हील्स की अनिवार्यता के बजाय आरामदायक जूते पहनने की अनुमति देनी चाहिए।

  • प्रशिक्षण
    कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाए। HR और प्रबंधन को ड्रेस कोड के कानूनी पहलुओं पर प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे लिंग आधारित पक्षपात को पहचान सकें और उससे बच सकें।

  • कैज़ुअल ड्रेस
    कैज़ुअल ड्रेस कोड देना कम औपचारिक ऑफिस या कार्यस्थलों में स्वीकार्य किया जाना चाहिए। लेकिन फिर भी कुछ प्रोफेशनल मानकों का पालन करना आवश्यक होता है, जैसे कि ज्यादा असहज या फटे हुए कपड़े या जीन्स या स्कर्ट को अस्वीकार करना।