मातृत्व अधिनियम, 1961 क्या है, और इसके क्या फायदे हैं

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मातृत्व अधिनियम, 1961 क्या है, और इसके क्या फायदे हैं

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून है, जो मातृत्व के समय महिलाओं को उनके पूरे वेतन, छुट्टी और रोजगार की सुरक्षा जैसे कई लाभ प्रदान करता है।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के द्वारा महिलाओं को उनकी मातृत्व अवस्था के समय उनके स्वास्थ्य, उनके रोजगार, नौकरी, एवं शिशु के हित और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पारित किया गया था। इसलिए हम कह सकते हैं कि यह एक महिलाओं एवं शिष्यों की सुरक्षा से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधि है।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के कई लाभ है, जैसे यह अधिनियम महिलाओं की नौकरी की सुरक्षा और आर्थिक सहारा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त उन्हें कार्य स्थल पर सम्मानजनक वातावरण उपलब्ध कराता है। साथ ही महिलाओं को मातृत्व अवकाश, उस अवधि के वेतन सहित विश्राम की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। इस अधिनियम में महिलाओं की गर्भावस्था में उनकी आर्थिक सुरक्षा से संबंधित प्रावधान है, जिसमें उनके स्वास्थ्य, आर्थिक सुरक्षा तथा शिशु के जन्म के पश्चात् की देखभाल का अधिकार भी महिलाओं को प्रदान किया गया है।

इस अधिनियम के प्रारम्भ में इस अधिनियम में मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह थी किंतु सन 2017 में इस मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़कर 26 सप्ताह कर दिया गया है, जिससे कि महिलाओं को अपने नवजात शिशुओं की देखभाल एवं खुद के स्वास्थ्य के लिए प्रसव के पश्चात अधिक समय मिल सके।

साथ ही यह अधिनियम गोद लेने वाली महिलाओं और सरोगेसी माता को भी वही सब लाभ उपलब्ध कराता है, जो की एक आम गर्भावस्था में किसी महिला को प्राप्त होते हैं।

यह अधिनियम यह भी प्रावधान करता है कि जब महिला मातृत्व अवकाश ले रही है तो उसे उसके औसत वेतन के अनुसार उसके वेतन का भुगतान किया जाए तथा उसे नौकरी से ना निकला जाए। इसका अर्थ यह है कि गर्भावस्था के समय भी महिला को उसकी नौकरी और आर्थिक सुरक्षा के प्रावधान इस अधिनियम में किए गए हैं।

इस अधिनियम में यह प्रावधान भी किया गया है कि ऐसे व्यवसाय, प्रतिष्ठान, ऑफिस अथवा कार्यालय में जहां 50 या उससे अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं वहां बच्चों के और नवजात शिशुओं के ध्यान रखने हेतु क्रेट सुविधा भी उस संस्थान के द्वारा उपलब्ध कराई जाना चाहिए। ताकि महिलाएं अपने नवजात शिशुओं की देखभाल अपने कार्य करते समय भी कर सकें।

यह अधिनियम प्रावधान करता है कि यदि गर्भपात या अबॉर्शन या शिशु के जन्म से अथवा प्रसव से जुड़ी कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या किसी महिला को होती है तो उसे अलग से अवकाश की व्यवस्था भी की जाए।

तथा इस अधिनियम के अंतर्गत गर्भावस्था में महिलाओं के घर से कार्य करने की सुविधा का भी प्रावधान किया गया है।

इस अधिनियम के पारित होने से यह सुनिश्चित हुआ है कि मातृत्व अवकाश के समय में किसी महिला की कार्य क्षमता को आपत्ति बनाते हुए उसे नौकरी से ना निकल जाए ना ही उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव किया जाए।

इस कानून से सरकार के द्वारा महिलाओं के प्रति किए जाने वाले भेदभाव और लैंगिक असमानता को कम करने का प्रयास किया गया है।


यह कानून कहां पर लागू होता है ?

अब प्रश्न यह है कि इस कानून को कहां लागू किया जाएगा। इस अधिनियम में जो प्रावधान किए गए हैं वो सभी शासकीय, अर्धशासकय प्रतिष्ठान, कंपनी, निजी कंपनी, बागान, कारखाने, खदान या बड़े दुकान या प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं।

इस कानून की विशेष बात यह है कि यह संगठित और संगठित दोनों क्षेत्रों पर लागू होता है।

लेकिन यह कानून राज्य बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत आने वाली महिलाओं पर लागू नहीं होता क्योंकि उन्हें ईएसआई (ESI) के अंतर्गत मातृत्व का लाभ अलग से प्राप्त है। लेकिन यदि महिला ईएसआई (ESI) के कवर में है लेकिन उसका वेतन ईएसआई एक्ट की सीमा रुपए 21,000 प्रति माह से ज्यादा है तो वह मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत लाभ की हकदार होगी।


किन महिलाओं को इस कानून का लाभ मिलेगा।

यदि किसी महिला को मातृत्व से संबंधित इस अधिनियम का लाभ प्राप्त करना है तो उसके लिए कुछ शर्ते निम्नलिखितहैं

  • किसी महिला के द्वारा अपने एंपलॉयर अर्थात नियोक्ता के प्रतिष्ठाणिया संस्थान में उसके प्रसव यानी डिलीवरी से पिछले 12 महीना में काम से कम 80 दिन तक काम करना चाहिए।
  • यह लाभ सभी महिलाओं जो की स्थाई अस्थाई या अनुबंध यानी कांट्रेक्चुअल और दैनिक वेतन भोगी पर समान रूप से लागू होता है यदि वह इस अधिनियम में सभी शर्तें पूरी करती हैं तो।

इस अधिनियम के अंतर्गत मातृत्व लाभ पाने के लिए क्या प्रक्रिया है

इस अधिनियम के अंतर्गत मातृत्व लाभ प्राप्त करने के लिए महिलाओं को अपने नियोक्ता को लिखित रूप में सूचना देनी होती है इसके पश्चात नियोक्ता उसे उन शर्तों के अधीन जैसा अधिनियम में दी गई है मातृत्व का लाभ प्रदान करता है।


मातृत्व लाभ अधिनियम के अंतर्गत कितने समय तक की छुट्टी मिल सकती है

  • किस अधिनियम के अंतर्गत पहलि या दूसरी संतान के लिए कुल 26 सप्ताह की छुट्टी, जिसमें 8 सप्ताह की प्रसब से पहले एवं 18 सप्ताह की प्रसब के पश्चात।
  • तीसरी या उससे अधिक संतानों के लिए कुल 12 हफ्ते की छुट्टी।
  • गोद लेने वाली मां के लिए यदि गॉड लिया हुआ बच्चा 3 माह से छोटा है तो 12 सप्ताह की छुट्टी।
  • मिसकैरेज यानी गर्भपात अथवा एमपीटी यानी मेडिकल टर्मिनेशन का प्रेगनेंसी की स्थिति में महिला को 6 सप्ताह का अवकाश प्राप्त होगा।
  • Tubectomy operation - sterilization के लिए दो सप्ताह का अवकाश प्राप्त होगा।
  • गर्भ अथवा प्रसव से संबंधित किसी बीमारी के लिए एक महीने का अतिरिक्त अवकाश प्राप्त हो सकता है।