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महिला ने बताया कि उसके बाद उसका वेबसाइट से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। वेकेशन का समय भी आ गया था लेकिन कुछ फर्जी वेबसाइट की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा था। तब उस महिला को एहसास हुआ कि उसके साथ साइबर फ्रॉड हुआ है। महिला ने पुलिस को इस बात की शिकायत की और तब पुलिस ने इस शिकायत को आधार बनाकर अपनी जांच मैं आकाश को दोषी पाया और उसे गिरफ्तार किया।
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मामले की जांच कर रहे उप-निरीक्षक राजेश गराड ने कहा कि आकाश ने लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए फर्जी वेबसाइट बनाई और करीब 20 अलग-अलग लोगों के साथ ठगी को अंजाम दिया। आकाश पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत मामला दर्ज करके जेल भेज दिया गया है।
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सबसे पहले तो विश्वसनीय वेबसाइट पर ही विजिट करें।
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ध्यान रखें गूगल पर मिलने वाली हर वेबसाइट सही नहीं होती है।
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वेबसाइट का डोमेन नेम ध्यान से चेक करें, कहीं ऐसा तो नहीं कि साइबर अपराधियों ने मिलते जुलते नाम की कोई फर्जी वेबसाइट बनाई हो। यह साइबर अपराधी बहुत बारीकी से असली देखने जैसी नकली वेबसाइट तैयार करते हैं।
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वेबसाइट के यूआरएल में “https://” और एड्रेस बार में एक पैडलॉक यानी ताले का चिन्ह अवश्य देखें।
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अगर कोई नई मोबाइल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर आपसे इंस्टॉल करवाया है तो सतर्क हो जाएं यह साइबर अपराधी हो सकते हैं जो आपके डिवाइस को हैक करके आप को चुना लगा सकते हैं।
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उस वेबसाइट के रिव्यू, रेटिंग और फीडबैक अन्य वेबसाइटों पर भी देखें, अगर वह फर्जी वेबसाइट होगी तो हो सकता है कई अन्य लोगों ने भी उस वेबसाइट की शिकायत अन्य ऑनलाइन फोरम और रिव्यू वेबसाइट के ऊपर की होगी।
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बुकिंग और पेमेंट करते समय विशेष सावधानी बरतें।
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ओटीपी भूल कर भी किसी व्यक्ति को ना बताएं।
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