विशिंग कॉल से सायबर फ्राड
सायबर अपराधी रोज़ ठगने के नए–नए तरीके खोज रहे हैं, विशेष रूप से आम और भोले–भाले लोगों को उनकी गाढ़ी कमाई चुराने के तरीके ईजाद कर रहे हैं। जो व्यक्ति खरीदारी के डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग में सतर्क नहीं हैं या ऐसे लोग जो तकनीकी सिस्टम से पूरी तरह परिचित नहीं हैं, वे इस ठगी के तरीकों का आसान शिकार हो रहे हैं। इसलिए जालसाजों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के बारे में जनता के बीच जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है।
आइए जानते हैं ऑनलाइन धोखाधड़ी के यह कौन-कौन से तरीके हैं –
- फ़िशिंग लिंक
- विशिंग कॉल
- ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म का उपयोग कर धोखाधड़ी
- अज्ञात/असत्यापित मोबाइल ऐप्स के उपयोग के कारण धोखाधड़ी
- एटीएम कार्ड स्किमिंग
- स्क्रीन शेयरिंग ऐप/रिमोट एक्सेस का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी
- सिम स्वैप / सिम क्लोनिंग
- सर्च इंजन के माध्यम से परिणामों पर साख से समझौता करके धोखाधड़ी
- मनी म्यूल
- ऑनलाइन जॉब फ्रॉड
- लॉटरी की धोखाधड़ी
- सोशल मीडिया पर प्रतिरूपण
- क्यूआर कोड स्कैन के जरिए स्कैम
- जूस जैकिंग
इन्ही सायबर ठगी के तरीकों में से एक तरीका है –
विशिंग कॉल
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धोखेबाज टेलीफोन कॉल/सोशल मीडिया के माध्यम से ग्राहकों को कॉल करते हैं या उनसे संपर्क करते हैं
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साइबर अपराधी अपने आप को
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बैंक अधिकारी,
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कंपनी के अधिकारी
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बीमा एजेंट
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सरकारी अधिकारी
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RBI (रिजर्व बैंक) का अधिकारी
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SBI का अधिकारी
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कस्टम विभाग का अधिकारी
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इनकम टैक्स का अधिकारी बताते हैं
3. विश्वास हासिल करने के बाद, धोखेबाज ग्राहक के कुछ विवरण साझा करते हैं जैसे कि ग्राहक का नाम या जन्म तिथि, इस से ग्राहक उस पे भरोसा कर लेते हैं।
4. कुछ मामलों में, ये सायबर अपराधी दबाव बनाते हैं/ छल करते हैं।
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इस प्रकार बातों बातों में साइबर अपराधी आपसे और की गोपनीय जानकारी जैसे क्रेडिट/ डेबिट कार्ड की डिटेल सीवीवी नंबर और ओटीपी ले लेते हैं।
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ये जानकारी ले कर वो आपके खाते से सारा पैसा निकाल लेते हैं।
सावधानी –
- बैंक अधिकारी/ वित्तीय संस्थान/ आरबीआई/कोई वास्तविक संस्था कभी भी ग्राहकों से निजी या गोपनीय जानकारी नहीं मांगती है
- उपयोगकर्ता नाम/पासवर्ड/कार्ड विवरण/सीवीवी/ओटीपी जैसी गोपनीय जानकारी साझा न करें।
- इन गोपनीय विवरणों को कभी भी किसी के साथ साझा न करें, यहां तक कि अपने परिवार के सदस्यों से भी नहीं।