भारत में उपभोक्ता को कितने और क्या अधिकार हैं
उपभोक्ता कौन होता है
प्रतिदिन जब हम अपने इस्तेमाल के लिए कोई वस्तु खरीदते हैं तो हम उपभोक्ता बन जाते हैं।
इसलिए हमें यह समझना आवश्यक है कि उपभोक्ता का क़ानूनी अर्थ है क्या
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार –
उपभोक्ता वह व्यक्ति होता है जो किसी भी वस्तु या सेवा प्राप्त करने के बदले भुगतान करता है।
उपभोक्ता का शोषण कैसे होता है
अगर हम जागरूक न हों तो हम उपभोक्ता के रूप में शोषण का शिकार भी हो सकते हैं।
तो उपभोक्ता होने के नाते अगर हम किसी वस्तु और सेवा का भुगतान करने के बाद भी उचित वस्तु या सेवा न पाएं तो हमारे कई कानूनी अधिकारों का उलंघन होता है। यही उपभोक्ता शोषण कहलाता है।
नीचे बताये गए सभी कार्य उपभोक्ता शोषण के दायरे में आते हैं
- उपभोक्ता होने के नाते हमारा कई प्रकार से का शोषण भी होता है जैसे- खराब गुणवत्ता की वस्तु देना,
- सस्ती चीजों को महंगे दाम में बेचना,
- खाद्य अपमिश्रण यानि खाने पिने की चीज़ों में घटिया चीज़ों की मिलावट,
- कीमत वसूलने बाद भी घटिया सेवा उपलध करवाना या उपलब्ध ही न करवाना।
उपभोक्ता जागरूकता
अगर हम उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों तो इस शोषण से बच सकते हैं। सारे विश्व में उपभोक्ता संरक्षण और सशक्तिकरण (CONSUMER PROTECTION AND EMPOERMENT) के लिए हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
भारत में उपभोक्ता दिवस
भारत सरकार भी देश में उपभोक्ता जागरूकता एवं संरक्षण के लिए बहुत कार्य कर रही है। उपभोक्ताओं की सुरक्षा का अधिकार भारत में वस्तु बिक्री अधिनियम 1930 लागू होने के साथ शुरू हुआ। इसी क्रम में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में में पारित किया गया था। इसे 24 दिसंबर 1986 को संसद में पारित किया गया था। इसी दिन को भारत में उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस के तहत उपभोक्ताओं को 6 अधिकार दिए गए हैं।
उपभोक्ता के 6 अधिकार
- सुरक्षा का अधिकार
- सूचना देने का अधिकार
- चुनने का अधिकार
- सुने जाने का अधिकार
- निवारण का अधिकार
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
यहाँ ध्यान देने लायक एक बात यह भी है कि अधिकारों के अलावा शोषण से बचने के लिए हमारे भी कुछ कर्तव्य होते हैं।
वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता कुछ मानकों द्वारा तय की जाती है। हमें कोई भी सामान खरीदने से पहले उन मानकों को देख समझ कर ही वस्तु क्रय करनी चाहिए।
जैसे –
- आईएसआई
- एबी
- आईएसओ
- एफपीओ
- ईसीओ
- हॉलमार्क
- एफ़ एस एस ए आई